पटना/नई दिल्ली: बिहार में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद से दोस्ती तोड़कर बीजेपी का दामन थामा और गठबंधन सरकार का गठन किया. नई सरकार के गठन के दो हफ्ते बाद ही मोदी कैबिनेट का विस्तार है, लेकिन जनता दल युनाइटेड को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है. सवाल है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ. सूत्र इसके पीछे पेंच बता रहे हैं और इसे नई दोस्ती में पहली खटास की नीव के तौर पर भी देखा जा सकता हैं. हालांकि, सूत्र का ये भी कहना है कि शीर्ष स्तर पर किसी भी तरह की कटुता की बात नहीं है.


दरअसल, जदयू को एक कैबिनेट देने की बात थी, मगर नीतीश की टीम चाहती थी कि उन्हें दो यानी एक राज्यमंत्री भी मिले. उनका तर्क था कि रामविलास पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा पहले से एनडीए में शामिल हैं, उनसे तो एक ज़्यादा हो.


मगर मोदी की दिक़्क़त बिहार के पुराने सहयोगियों के साथ-साथ शिवसेना की थी. शिवसेना पहले ही मंत्रिमंडल में बेहतर प्रतिनिधित्व के लिए दबाव बनाता रही थी. जदयू को दूसरी सीट देते ही दूसरे सहयोगी नाराज़ हो जाते. इस बात को नीतीश ने भी समझा, लेकिन पासवान और कुशवाहा से बड़ी लकीर खींचने के उद्देश्य से मंत्रिमंडल में फ़िलहाल शामिल होने से दूरी बना ली.


सूत्र का कहना है कि शीर्ष स्तर पर किसी भी तरह की कटुता की बात नहीं है. भविष्य में जब कभी एआईएडीएमके शामिल होगी, उस समय तक के लिए जदयू ने कैबिनेट में शामिल होने का फ़ैसला टाल दिया है.


आपको बता दें कि मोदी मिशन 2019 की तैयारी के तहत मंत्रिमंडल का विस्तार कर रहे हैं. मोदी सरकार के कार्यकाल का सबसे बड़ा कैबिनेट विस्तार आज सुबह साढ़े 10 बजे हो रहा है. ये विस्तार अब तक का सबसे बड़ा होगा क्योंकि इसमें कुल 13 मंत्री शपथ लेने जा रहे हैं, जिनमें 9 चेहरे बिल्कुल नए होंगे.