जानिए- क्यों पीएम मोदी ने लेह दौरे के दौरान अपने भाषण में किया था 'सुदर्शन चक्र' का जिक्र
शुक्रवार को लेह-लद्दाख के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में 'सुदर्शन चक्र' का जिक्र किया था. इसके साथ ही पीएम मोदी ने पौराणिक-इतिहास के साथ साथ एलएसी पर सेना की तैनाती की तरफ भी इशारा कर दिया.
नई दिल्ली: शुक्रवार को लेह-लद्दाख के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निमो ब्रिगेड हेडक्वार्टर में भगवान कृष्ण की बांसुरी और सुदर्शन चक्र का जोरदार जिक्र किया. लेकिन यहां पर आपको बता दें कि पीएम मोदी ने पौराणिक-इतिहास के साथ साथ एलएसी पर सेना की तैनाती की तरफ भी इशारा कर दिया. दरअसल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भारतीय सेना की एक स्ट्राइक कोर है, जिसका नाम 21वीं कोर है. इस स्ट्राइक का मुख्य चार्टर दुश्मन देश की सीमा में घुसकर हमला करना है और इसे *सुदर्शन चक्र* कोर के नाम से जाना जाता है, ठीक वैसे ही जैसे लेह स्थित 14वीं कोर को 'फायर एंड फ्यूरी' के नाम से जाना जाता है.
हाल ही में खबर आई थी कि चीन सीमा से विवाद के बाद सेना ने रिइंफोर्समेंट के लिए मैदानी-क्षेत्रों से दो-तीन डिवीजन जिनमें एक आर्मर्ड डिवीजन को लेह लद्दाख में भेजा गया है. दिलचस्प बात ये है कि 21वीं कोर की एक बड़ी टैंक डिवीजन (रेजीमेंट) है जो उत्तर भारत के मैदानी भागों में तैनात रहती है. सुरक्षा कारणों से एबीपी न्यूज इस जगह का नाम उजागर नहीं कर रहा है. हालांकि ऐसी मूवमेंट की जानकारी सेना कभी सार्वजनिक नहीं करती है.
सीमा पर भारी मात्रा में तैनात हैं चीनी सैनिक
आपको बता दें कि जब से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव की स्थिति बनी है तब से चीन ने पूर्वी लद्दाख से सटी पूरी एलएसी पर हेवी बिल्ट-अप कर रखा है. यानि, सैनिकों के साथ साथ टैंक, तोप और दूसरे सैन्य साजो सामान का जमावड़ा कर रखा है. चीन ने अपने लाइट टैंक के वीडियो भी इस दौरान जारी किए थे.
पूर्वी लेह लद्दाख में भारतीय सेना की एक टैंक रेजीमेंट कई सालों से तैनात है. लेकिन चीन की सेना की 'मिरर-डिप्लोयमेंट' के लिए भारत ने भी अतिरिक्त टैंकों को यहां तैनात किया है ताकि विपरीत परिस्थितियों में चीन के टैंकों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके. जानकारी के मुताबिक, इन टैंकों को लेह लद्दाख पहुंचाने के लिए वायुसेना के हेवी-लिफ्ट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, सी-17 ग्लोबमास्टर का इस्तेमाल किया गया है.
सीमाओं की रक्षा करती है भारत की 14वीं कोर
भारतीय सेना की इस समय 04 स्ट्राइक कोर हैं--मथुरा, अंबाला, भोपाल और पानागढ़ (पश्चिम बंगाल) में. ये चारों कोर दुश्मन सीमा में घुसकर हमला करने के लिए हैं. बाकी कोर जैसे लेह स्थित 14वीं कोर है, वे सीमाओं की रक्षा करती हैं दुश्मन के हमले से. मथुरा स्थित 'वन कोर' को स्ट्राइक कोर-वन के नाम से जाना जाता है. अंबाला की स्ट्राइक कोर-टू को 'खड़गा' कोर कहा जाता है.
पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में जो माउंटेन स्ट्राइक कोर (17वीं कोर) वे अभी सबसे नई कोर है जिसे भारतीय सेना के लिए तैयार किया जा रहा है. 'ब्रह्मास्त्र' नाम की स्ट्राइक कोर चीन के खिलाफ खासतौर से खड़ी की जा रही थी. ये कोर हाई-ऑल्टिट्यूड यानि ऊंचे इलाकों में लड़ने के लिए खड़ी की जा रही है.
इस कोर के ही कुछ मिलिट्री-एलीमेंट्स को मिलाकर आईबीजी यानि इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप तैयार किए जा रहे हैं. ये छोटे छोटे ग्रुप हैं जिनमें इंफेंट्री सैनिक, मैकेनाईजड इंफेंट्री, आर्मर्ड यानि टैंक, आर्टलरी यानि तोपखाना सब एक ही यूनिट में काम करती हैं. लेकिन अब जब चीन की पीएलए सेना के साथ पिछले दो महीने से पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर तनातनी चल रही है ऐसे में बेहद जरूरी है कि माउंटेन स्ट्राइक को जल्द से जल्द खड़ा किया जाए ताकि युद्ध की स्थिति में चीन पर बड़ा प्रहार किया जी सके.
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