महाराष्ट्र में सत्ताहीन महाविकास गठबंधन के घटक दलों के बीच दरारें फिर एक बार नजर आ रहीं हैं. इस बार सरकार के प्रति नाराजगी का इजहार समाजवादी पार्टी ने किया है. हालांकि उसकी नाराजगी से फिलहाल ठाकरे सरकार को कोई खतरा नहीं है. समाजवादी पार्टी ने मुसलिमों को आरक्षण देने की मांग को लेकर ठाकरे सरकार को घेरा है.


महाराष्ट्र विधान मंडल के बजट सत्र का सोमवार को पहला दिन था. विधान भवन में कार्रवाई शुरू होने के साथ ही समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी और रईस शेख मुसलमानों को 5 फीसदी आरक्षण देने की मांग करते हुए बैनर प्रदर्शित करने लगे. आजमी का कहना था कि, “सत्ता में आने से पहले कांग्रेस और एनसीपी मुसलिम आरक्षण के पक्ष में बयान देतीं थीं लेकिन अब वो भूल गई है. CAA-NRC के बारे में भी अब दोनो पार्टियां बात नहीं करतीं. ये दोनो पार्टियां कहतीं कुछ हैं और करतीं कुछ हैं. इन पार्टियों को उनकी पुरानी बातें याद दिलाने के लिये समाजवादी पार्टी की ओर से विधान भवन में ये आंदोलन किया गया है.”


आजमी ने आगे कहा कि, “धर्मनिर्पेक्षता के मुद्दे पर उनकी पार्टी ने सरकार को समर्थन दिया था. पार्टी के वरिष्ठों के कहने पर समर्थन वापस भी लिया जा सकता है.” हालांकि आजमी ने सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी तो दी है लेकिन अगर समाजवादी पार्टी के 2 विधायक वाकई में ठाकरे सरकार से अपना समर्थन खींच लेते हैं तब भी सरकार को कोई खतरा नहीं है.


महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और बहुमत का आंकडा 145 सीटों का है. शिव सेना के पास 56 सीटें है, एनसीपी के पास 54 सीटें हैं और कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं. तीनों पार्टियों की कुल सीटों की संख्या होती है 154 यानी कि सरकार के पास बहुमत से 9 सीटें ज्यादा हैं. इसके अलावा कई निर्दलियों और छोटी पार्टियों ने भी सरकार को समर्थन दे रखा है. ऐसे में समाजवादी पार्टी के गठबंधन में रहने या न रहने से सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता.


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