नई दिल्ली: कोरोना की महामारी के बीच में वैक्सीनेशन की खबर दुनिया के लिए खुशहाली की बयार बनकर आई है. वैक्सीनेशन की जोरदार चर्चा के बीच में वैक्सीन हराम है या हलाल एक चर्चा यह भी जोरों पर छाई हुई है. चर्चा है कि चीन की जो वैक्सीन है उसमें सूअर के बॉडी पार्टिकल का इस्तेमाल हुआ है. सोशल मीडिया से लेकर इंटरनेट वेबसाइट तक इसको लेकर चर्चा कर रहा है, जिसके चलते इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे इस्लामिक मुल्कों में बहस जारी है. यह चर्चा भारत तक पहुंच गई है जहां इस्लामिक स्कॉलर भी ये मांग कर रहे हैं कि वैक्सीन हराम है या हलाल देश के बड़े मौलवी और मस्जिद जल्द तय करें.
दरअसल, वैश्विक न्यूज़ वेबसाइट में चर्चा है कि चीन की कोरोना की वैक्सीन में सूअर के बॉडी के अंश का इस्तेमाल करने को लेकर मलेशिया इंडोनेशिया में जोरदार बहस चल रही है. चीन के वैक्सिनेशन का इस्तेमाल हराम है या हलाल की चर्चा है. अब जैसे जैसे वैक्सिनेशन की घड़ी भारत में नजदीक आ रही है, भारतीय इस्लामिक स्कॉलर भी इस पर जोरों की चर्चा कर रहे हैं.
भारत में इस्लामिक एसोसिएशन रजा अकेडमी की मांग है कि वैक्सीन में उसे बनाने में जिन चीजों का इस्तेमाल हुआ है, वह सार्वजनिक होने चाहिए. ताकि सबको पता चल सके और अगर सच में सूअर से जुड़ा हुआ कुछ है तो यह तो पूरी तरीके से हराम है. इस पर चर्चा भी नहीं हो सकती. वैसे अकेडमी यह भी कह रही है कि हराम है या हलाल तय करने का काम देश के जिन बड़े मौलवियों का है, वही इसे फाइनली तय करेंगे. लेकिन जल्द से जल्द वैक्सीन से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचना सामने आनी चाहिए.
वहीं इस्लामिक स्कॉलर का एक धड़ा जहां वैक्सीन की जांच और उसके बाद हलाल की बात करता है, वहीं एक दूसरा धड़ा है जो कह रहा है कि आज कोरोना वायरस मुसीबत बना हुआ है. ऐसे में जान बचाने के लिए अगर जरूरत पड़े तो हराम भी इस्तेमाल किया जा सकता है. कुरान में भी इस बात की इजाजत है.
स्कॉलर का यह भी कहना है कि अगर स्पष्ट नहीं हो रहा है तो कुरान के हिसाब से इस्मा किया जा सकता है. जहां उलेमा और प्रमुख धार्मिक नेता बैठकर मिलकर साथ में आकर चर्चा कर सकते है वैक्सीन का क्या होना है. इसके अलावा इस्तेहार का भी ऑप्शन है, जहां मेरा ईमान जो कहेगा वह करने की भी इजाजत कुरान देता है. लेकिन ऐसी मुसीबत की घड़ी में जहां जान पर बनी है, ना केवल एक आदमी की बल्कि पूरी इंसानियत की, तो हराम के इस्तेमाल में कोई गड़बड़ी नहीं है.
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