कोरोना वायरस जहां तेजी के साथ दुनियाभर में लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है और एक बार फिर से इसका संक्रमण विश्व के कई शहरों में बढ़ा है तो वहीं दूसरी तरफ इसकी रोकथाम को लेकर जोर-शोर से वैक्सीन पर काम भी चल रहा है. इस वक्त करीब 10 ऐसी वैक्सीन हैं जिन पर पूरी दुनिया में अंतिम चरण का परीक्षण किया जा रहा है. लेकिन, मॉडर्ना और जर्मन बायोटेक कंपनी के साथ संयुक्त रूप से वैक्सीन तैयार कर रहे फाइजर के शुरुआती नतीजों ने लोगों में उम्मीद बांधी है. ऐसे में आइये जानते हैं उन टॉप-5 वैक्सीन के बारे में, जिन पर चीन से लेकर ब्रिटेन तक काम चल रहा है और कब तक वो बाजार में आ जाएगी? 


1-मॉडर्ना वैक्सीन:


अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे जारी कर दिए हैं. मॉडर्ना की वैक्सीन कोविड-19 की रोकथाम में 94.5 फीसदी असरदार साबित हुई है. यह दो डोल वाली वैक्सीन है जिसे अमेरिकी में अगले साल की पहली तिमाही तक उपलब्ध होने की उम्मीद की जा रही है. इसे माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोरेज किया जा सकता है. मॉडर्ना का कहना है कि वो अमेरिका में वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति लेने के लिए अगले कुछ सप्ताह में आवेदन करेगी.


2-फाइजर वैक्सीन:


अमेरिका की दवा उत्पादक कंपनी फाइजर ने जर्मना दवा कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर इस वैक्सीन को तैयार किया है. फाइजर की तरफ से वैक्सीन के तीसरे चरण के नतीजे जारी कर दिए गए हैं. इस दवा ने लोगों में बड़ी उम्मीद बांधी है. यह वैक्सीन 95 फीसदी तक प्रभावी पाई गई है. क़रीब 43,000 लोगों को पर इस वैक्सीन को टेस्ट किया जा चुका है और सुरक्षा को लेकर कोई चिंताएं सामने नहीं आई हैं. जल्द बाजार में लाने के लिए अमेरिकन दवा कंपनी की तरफ से इमरजेंसी रेगुलेटरी अप्रुवल की मांग की जा सकती है. खबरों के मुताबिक, अमेरिकी में फाइजर वैक्सीन की कीमत 20 डॉलर में एक खुराक के आसपास रह सकती है. यानी, भारत में इसकी कीमत दो हजार के आसपास पड़ेगी. लेकिन, सबसे बड़ी चुनौती इसके स्टोरेज में है क्योंकि इसे माइनस 70 डिग्री तापामान में रखना होगा. फाइज़र का मानना है कि वो इस साल के अंत तक दुनिया भर में 5 करोड़ खुराक और 2021 के अंत तक लगभग 130 करोड़ खुराक की आपूर्ति करने में सक्षम होगी.


3-स्पूतनिक वैक्सीन:


रूस की तरफ से सबसे पहले स्पूतनिक-V वैक्सीन तैयार कर लेना का दावा किया गया था. इस वैक्सीन के 92 फीसदी असरदार होने का दावा किया जा रहा है. भारत में डॉक्टर रेड्डी लेबोरेटरीज के साथ इसकी डील हुई है. हालांकि, भारत में भी स्पूतनिक-V के दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण किया जा रहा है और अगर सबकुछ सामान्य रहा तो यह रूसी वैक्सीन अगले साल की दूसरी तिमाही तक बाजार में आ जाएगी.


4-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन:


ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मिलकर एक वैक्सीन विकसित कर रहे हैं. अगले कुछ हफ़्तों में इसके परीक्षण के नतीजे भी आ जाएंगे. एस्ट्राज़ेनेका/ऑक्सफर्ड ने अकेले ही ब्रिटेन को अपने वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक उपलब्ध कराने पर सहमति जताई है. अगर इसकी वैक्सीन सफल साबित हुई तो यह विश्वस्तर पर 20 करोड़ खुराक उपलब्ध कराएगी.


5-चीनी वैक्सीन साइनोफार्मा:


कई अन्य वैक्सीन का परीक्षण भी अपने अंतिम चरण में हैं. इनमें चीन में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स और साइनोफार्मा वैक्सीन है. हालांकि, चीन की कंपनी सिनोवैक में विकसित एक वैक्सीन की ब्राज़ील में होने वाले परीक्षण पर एक गंभीर घटना का हवाला देते हुए रोक लगा दी गई थी, जिसमें एक वॉलंटियर की मौत हो गई थी.


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