नई दिल्लीः एक कहावत याद आती है जो कि आम लोगों के जुबान पर होता है. ''आप रुपी भोजन पराया रुपी श्रृंगार'' इसक सीधा मतलब देखा जाए तो यह है कि अपने पसंद का भोजन करें और श्रृंगार दूसरे के हिसाब से किया जाता है. ऐसा इसलिए कि जो हम खाते हैं उससे हमे ऊर्जा मिलती है लेकिन जो हम श्रृंगार करते हैं उससे दूसरे लोग देखते हैं.


अब अगर खाने की बात हो ही रही है तो हम आपको शाकाहारी और मांसाहारी के इस द्वंद से निकालते हुए बताते हैं कि भारत में कितने लोग शाकाहारी भोजन खाते हैं और कितने लोग मांसाहारी आहार लेते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि शाकाहार के पक्ष में तर्क रखने वाले देश में 70 प्रतिशत लोग मांसाहार को पसंद करते हैं.


भारत को 'मीट पसंद' है


साल 2014 हुए देशव्यापी सर्वे की अगर बात करें तो इससे पता चलता है कि 70 प्रतिशत लोगों को मांसाहारी भोजन पसंद है. वहीं इंडियास्पेंड का विश्लेषण देखें तो पता चलता है कि भारत में करीब 80 प्रतिशत पुरुष और लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं कभी-कभी अंडे, मछली, चिकन या मांस का सेवन करती हैं. 


यहां भी अमेरिका से पीछे है भारत


आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में मांस की खपत दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में काफी कम है. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक भारत में एक व्यक्ति सालाना करीब 5.2 किलोग्राम मांस की खपत करता है जबकि अमेरिका में प्रति व्यक्ति 115 किलोग्राम से मीट खाते हैं. 


वैसे तो भारत में शाकाहारी और मांसाहारी भोजन को लेकर हर चौक चौराहे पर बहस होता दिख जाता है. कोई शाकाहारी भोजन को लेकर अपना तर्क रखता है तो कोई मांसाहारी भोजन को अपना पसंदीदा मानता है. जो लोग दोनों तरह का भोजन का ग्रहण करते हैं वैसे लोग न तो खुलकर शाकाहारी का पक्ष रख पता हैं और न हीं मांसाहारी भोजन का विरोध कर पाते हैं.


बता दें कि भारत में एक वर्ग का हमेशा से मानना है कि शाकाहारी भोजन ही सुपाच्य होता है ओर यही भोजन खाने लायक होता हैं. इन लोगों का यह भी मानना है कि ऐसे भोजन से लोगों को ताकत मिलती है. पुरातन परंपराओं और धार्मिक ग्रंथों का हवाल देकर शाकाहारी भोजन करने वाले लोग इसके पक्ष में जोरदार तरीके से तर्क भी पेश करते हैं.


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