पुणे शहर कोविड -19 वैक्सीन को लेकर चर्चा में है. पुणे एयरपोर्ट पर गुरुवार रात को कोविड -19 वैक्सीन को बड़े पैमाने पर एयरलिफ्ट की सुविधा शुरू हुई. यहां की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) नेऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर कोविशील्ड वैक्सीन बनाई है.
सीरम इंस्टीट्यूट इस वैक्सीन का उत्पादन कर रही है. लेकिन पुणे केवल वैक्सीन उत्पादन का हब ही नहीं है बल्कि यह अपनी दूसरी चीजों के लिए भी मशहूर है. शिक्षण संस्थाओं, आईटी, मैन्युफैक्चर इंडस्ट्री के साथ-साथ पुणे का अपना गौरवशाली अतीत रहा है.
मुंबई से करीब 150 किलोमीटर दूर पुणे देश का आठवां सबसे बड़ा शहर है. साथ ही यह महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. कहा जाता है कि बैडमिंटन के मॉर्डन वर्जन इसी शहर में हुई थी और शुरुआत में इसके नाम से जाना जाता था.
कहलाता है पूरब का ऑक्सफोर्ड
पुणे को 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' भी कहा जाता है. यहां पर रिसर्च, आईटी मैनेजमेंट, आर्ट और मेडिकल के कई बेहतरीन शिक्षण संस्थान हैं.भारत का फेमस फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) संस्थान भी यहीं पर है. इसे 1960 में भारत सरकार ने शुरू किया था. इसके अलावा पुणे विद्यापीठ, नेशनल केमिकल लेबोटरी, आयुका, आगरकर रिसर्च इंस्ट्टीट्यूट, सी-डैक जैसी आंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान भी यहां हैं. पहला गर्ल्स स्कूल सावित्री बाई फुले ने यहीं पर शुरू किया था.
1714-1818 तक मराठा साम्रराज्य की रहा राजधानी
पुणे शहर का सबसे पुराना वर्णन आठवीं शताब्दी में मिलता है. तब इसे पुन्नक के नाम से जाना जाता था. इसके बाद शहर का इतिहास आदिलशाही, निजामशाही और मुगलों से जुड़ा. लेकिन इसको पहचान मराठा साम्रज्य से मिली. शिवाजी महाराज ने अपने साथियों के साथ पुणे परिसर में मराठा साम्राज्य की स्थापना की और इस काल मे यहां शिवाजी महाराज का वर्चस्व रहा.
पेशवा काल में इसे 1714 में मराठा साम्राज्य की राजधानी बना दिया. इस काल में पुणे की काफी तरक्की की और 1818 तक यह मराठों की राजधानी रहा. 1858 में पुणे महानगरपालिका की स्थापना हुई.
देश को दिए कई स्वतंत्रता सेनानी और समाजसुधारक
देश के स्वतंत्रता आंदोलन में पुणे का अहम योगदान रहा. स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ यहां कई समाज सुधारक भी निकले. लोकमान्य तिलक और वीर सावरकर, महादेव गोविंद रानडे, विठ्ठल रामजी शिंदे, गोपाल कृष्ण गोखले, महात्मा फुले जैसे समाजसुधारक और स्वतंत्रता सेनानी पुणे से थे. लोकमान्य तिलक का शुरू किया गया गणेशोत्सव आज भी लोकप्रिय है.
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