कैंसर पीड़ित शिक्षिका के जज्बे को सलाम! पैशन के आगे ठुकराया जज के 'सरकारी नौकरी' का प्रस्ताव
सोमा दास जज गंगोपाध्याय से मिलने कोर्ट पहुंची तो जज ने उनसे पूछा क्या आप किसी सरकारी विभाग में काम करना चाहती हैं , तो सोना दास का जवाब आया नहीं मैं अपने शिक्षिका बनने के सपने को नहीं छोड़ सकती हूं.
बंगाल में एक शिक्षिका ने जज के दिए हुए नौकरी के प्रस्ताव को इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि यह उसके आत्मसम्मान के खिलाफ है, दरअसल बंगाल के स्कूल सेवा आयोग एसएससी में नियुक्ति के लिए यह कैंसर पीड़िता शिक्षिका आंदोलन कर रहीं थीं. पिछले कई महीनों से नौकरी पाने के लिए लोग धरने पर बैठ कर आंदोलन कर रहें हैं, इसी नौकरी के आंदोलन में बीरभूम के नलहाटी की सोमादास भी शामिल हैं. हालांकि सोमा कैंसर होने के बावजूद भी अपने शिक्षक पद के लिए दिन-रात जागकर कोलकाता की सड़कों पर धरने पर बैठ कर न्याय मांग रही हैं.
शिक्षिका बनने के सपनें को नहीं छोड़ सकती हूं-
कैंसर पीड़िता शिक्षिका के बारे में जब जज अभिजीत गंगोपाध्याय को पता चला, तो उन्होंने सोमा दास को अदालत में मिलने के लिए बुलाया. बीते बुधवार को सोमा दास जज गंगोपाध्याय से मिलने अदालत पहुंची तो जज ने उनसे पूछा क्या आप किसी सरकारी विभाग में काम करना चाहती हैं? इसके जवाब में सोना दास ने कहा, "नहीं मैं अपने शिक्षिका बनने के सपनें को नहीं छोड़ सकती हूं.' इसपर जज गंगोपाध्याय ने कहा, कोर्ट आपको याद रखेगा अगर सरकारी शिक्षक बनने का कोई मौका मिला तो मैं आपको जरुर बता दूंगा.
सोमा दास का कहना है कि मुझे सहानुभूति की नौकरी नहीं चाहिए मेरी लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है, हम अपनी योग्यता के लिए लड़ रहे हैं. दरअसल, शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार का आरोप लगने के कारण यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है, जिसकी सुनवाई अदालत में चल रही है.
ये भी पढ़ें: