Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार (14 सितंबर, 2024) को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ्तार किया. इस दौरान सीबीआई अधिकारियों ने खुलासा किया है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के जवाब पॉलीग्राफ टेस्ट और लेयर्ड वॉयस विश्लेषण के दौरान भ्रामक पाए गए हैं.


न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ‘लेयर्ड वॉइस एनालिसिस’ झूठ का पता लगाने वाली एक नयी तरह की जांच है. इसका इस्तेमाल आरोपी के झूठ बोलने पर उसकी प्रतिक्रिया का पता लगाने के लिए किया जाता है. हालांकि, यह झूठ की पहचान नहीं करता. ये तकनीक आवाज में तनाव और भावनात्मक संकेतों की पहचान करती है.


जानें कैसे होता है पॉलीग्राफ टेस्ट?


सीबीआई ने अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में दो सितंबर को घोष को गिरफ्तार किया था. जांच एजेंसी ने बाद में उनके खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप भी जोड़े थे. पूछताछ के दौरान घोष की ‘पॉलीग्राफ’ जांच और ‘लेयर्ड वॉइस एनालिसिस’ कराया गया. ‘पॉलीग्राफ’ टेस्ट गवाहों के बयानों में गलतियों का आकलन करने में मदद कर सकती है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं जैसे कि हृदय गति, सांस लेने के तरीके, पसीने और ब्लड प्रेशर की निगरानी करके जांचकर्ता यह तय कर सकते हैं कि उनकी प्रतिक्रिया में विसंगतियां हैं या नहीं.


संदीप घोष ने पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान ‘भ्रामक’ जवाब दिए 


नई दिल्ली में स्थित सीएफएसएल की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का जवाब इस मामले से जुड़े ‘‘कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर भ्रामक’’ पाया गया है. सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि ‘पॉलीग्राफ’ जांच के दौरान मिली जानकारी का मुकदमे की सुनवाई के दौरान सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, लेकिन एजेंसी इसका उपयोग कर ऐसे सबूत एकत्र कर सकती है, जिनका अदालत में इस्तेमाल किया जा सकता है.


CBI ने संदीप घोष पर क्या लगाए आरोप?


सीबीआई ने आरोप लगाया है कि घोष को 9 अगस्त को सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर ट्रेनी डॉक्टर और उसकी हत्या के बारे में जानकारी मिल गयी थी, लेकिन उन्होंने पुलिस में तुरंत शिकायत दर्ज नहीं करायी. उन्होंने बताया कि घोष ने काफी देर बाद उप प्राचार्य के जरिए  गलत शिकायत’’ दर्ज कराई थी, जबकि ट्रेनी डॉक्टर को दोपहर 12 बजकर 44 मिनट पर ही मृत घोषित कर दिया गया था. सीबीआई ने कहा, ‘‘घोष ने तुरंत केस दर्ज कराने की कोशिश नहीं की. इसके बजाय उन्होंने इसे सुसाइड के तौर पर पेश करने की कोशिश की.


संदीप घोष और थाना प्रभारी ने मिलकर रची साजिश- CBI


एजेंसी ने आरोप लगाया कि संदीप घोष ने सुबह 10 बजकर 3 मिनट पर ताला पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल और दोपहर 1 बजकर 40 मिनट पर एक वकील से संपर्क किया था, जबकि अप्राकृतिक मौत का एक मामला रात साढ़े 11 बजे दर्ज किया गया. सीबीआई ने इस मामले के संबंध में मंडल को भी गिरफ्तार किया है.


सीबीआई ने दावा किया कि मंडल को 9 अगस्त को सुबह 10 बजकर तीन मिनट पर घटना की सूचना दे दी गयी थी, लेकिन वह तुरंत क्राइम स्पॉट पर नहीं पहुंचे. वो करीब 1 घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने दावा किया कि ‘‘अस्पताल अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर की गई कथित साजिश के तहत’’ जनरल डायरी में जानबूझकर गलत ब्यौरे दिए गए. 


SHO के चलते क्राइम सीन पर उपलब्ध सबूत हुए नष्ट- CBI


सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि केस दर्ज करने और क्राइम स्पॉट की सुरक्षा करने में मंडल की विफलता के कारण ‘‘क्राइम सीन पर उपलब्ध महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो गए’. उन्होंने कहा कि मंडल ने आरोपी संजय रॉय और अन्य लोगों को बचाने की कोशिश की जो संदिग्ध रूप से सबूतों से छेड़छाड़ करने के इरादे से क्राइम सीन पर अवैध रूप से पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि घोष ने अधीनस्थ अधिकारियों को शव को जल्द से जल्द मुर्दाघर में भेजने का कथित तौर पर निर्देश दिया. 


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