Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले को लेकर CBI ने शनिवार (14 सितंबर, 2024) को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ्तार किया है. जहां बुधवार (18 सितंबर) को अदालत में दिए गए अपने बयान में कहा गया कि पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पूरी प्रक्रिया पर नज़र रखने के बजाय जानबूझकर घटनास्थल से अनुपस्थित थे. जांच एजेंसी को शक है कि संदीप घोष किसी और से बात कर रहे थे और उसी से आदेश ले रहे थे.


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, CBI अधिकारियों का कहना है कि पुलिस टीम के क्राइम सीन पर पहुंचने के बाद संदीप घोष अस्पताल पहुंचे. तब तक घोष ने ताला थाना प्रभारी अभिजीत मंडल से कई बार बात की थी. सीबीआई ने साफ कहा है कि घोष और मंडल के मोबाइल फोन में कई राज छिपे हैं. इसके अलावा घोष ने अस्पताल के कई अधिकारियों से भी बात की थी. उनके कॉल डिटेल्स की जांच-पड़ताल से जांचकर्ताओं को शक है कि वह किसी और से बात कर रहे थे और आदेश ले रहे थे.


पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से कई बार पूछताछ कर चुकी है CBI


जांच एजेंसी पहले ही आरोप लगा चुकी है कि क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ की गई थी. सीबीआई ने संदीप घोष से कई बार पूछताछ की ताकि यह पता चल सके कि घटना के बारे में पता चलने के बाद उन्होंने क्या कदम उठाए. घोष ने जांचकर्ताओं को बताया कि उन्होंने कई अधिकारियों से बात की और डॉक्टरों का तीन सदस्यीय बोर्ड बनाया. जिसका सारा ब्यौरा स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया गया और शाम 5 बजे डॉक्टरों के बोर्ड की बैठक बुलाई गई.


CBI ने संदीप घोष पर क्या लगाए आरोप?


सीबीआई ने एक युवा पीजीटी डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले में आर जी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ्तार किया है. वित्तीय अनियमितताओं के लिए पहले से ही हिरासत में लिए गए घोष पर अब सबूतों से छेड़छाड़ और आपराधिक साजिश के आरोप हैं. जूनियर डॉक्टरों और पीड़िता के माता-पिता की गहन जांच की मांग के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई है.


संदीप घोष और अभिजीत मंडल को भेजा CBI हिरासत में


ताला पुलिस स्टेशन के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को तीन दिनों के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया है. उन पर 9 अगस्त को एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या से जुड़ी साजिश और सबूतों को नष्ट करने में शामिल होने का शक है. सीबीआई ने पुलिस की ओर से मामले को संभालने के तरीके पर सवाल उठाए हैं.


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