Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले को लेकर हजारों जूनियर डॉक्टर कोलकाता में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रशासन ने 51 डॉक्टरों को धमकी की संस्कृति को बढ़ावा देने और संस्थान के लोकतांत्रिक माहौल को खतरे में डालने के लिए नोटिस भेजा है.


न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता के आरजी कर अस्पताल, जहां 9 अगस्त को एक डॉक्टर के साथ रेप और फिर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में अस्पताल प्रबंधन ने इन 51 डॉक्टरों को 11 सितंबर को एक आंतरिक जांच पैनल के सामने पेश होने के लिए कहा है.


जानिए अस्पताल प्रबंधन ने नोटिस में क्या दिए आदेश?


आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रशासन की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि उन्हें समिति के सामने अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी. दरअसल, आरजी कर अस्पताल की स्पेशल परिषद समिति ने पैनल की ओर से बुलाए जाने तक उन्हें कैंपस में आने से बैन कर दिया है. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कॉलेज की गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. इस लिस्ट में वरिष्ठ रेजिडेंट, हाउस स्टाफ, इंटर्न और प्रोफेसर शामिल हैं. 


भ्रष्टाचार के मामले में संदीप घोष अभी न्यायिक हिरासत में


वहीं, अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष वित्तीय अनियमितताओं के मामले में सीबीआई की ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं. उन पर हत्या को सुसाइड़ बताने की कोशिश करने का आरोप है. इसके साथ ही उन्होंने कथित तौर पर घटनास्थल के पास मरम्मत के काम का भी आदेश दिया था.


सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को काम पर लौटने के दिए थे निर्देश


इस बीच ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और फिर हत्या की घटना सामने आने के बाद से हजारों जूनियर डॉक्टर कोलकाता में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसको लेकर सोमवार (9 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को मंगलवार (10 सितंबर) की शाम 5 बजे तक काम पर लौटने को कहा था.


जानें CJI चंद्रचूड़ ने डॉक्टरों के लिए क्या कहा?


सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि डॉक्टर कल शाम 5 बजे या उससे पहले ड्यूटी पर रिपोर्ट करते हैं तो उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. सुरक्षा और संरक्षा से संबंधित सभी शिकायतों पर तुरंत ध्यान दिया जाएगा. हालांकि, यदि वे लगातार काम से अनुपस्थित रहते हैं तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है और वे उस समुदाय की सामान्य चिंताओं से अनभिज्ञ नहीं हो सकते, जिनकी सेवा करने का उनका उद्देश्य है.


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