Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में न्याय को लेकर चल रही मांग पर बुधवार (18 सितंबर) को जूनियर डॉक्टरों और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच चल रही चर्चाओं का पॉजिटिव परिणाम निकला. इस दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने गुरुवार (19 सितंबर) को सभी स्वास्थ्य प्रोफेश्नल्स की सुरक्षा और कुशल कामकाज सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं.
पश्चिम बंगाल सरकार ने गुरुवार (19 सितंबर) को स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा, संरक्षा और कुशल कामकाज पर निर्देशों की एक लिस्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि उन आदेशों को तुरंत लागू करने की जरूरत है. ये निर्देश सरकार द्वारा इसी मुद्दे पर प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों के साथ बैठक करने के एक दिन बाद आए हैं.
जानिए पश्चिम बंगाल सरकार ने क्या निर्देश किए जारी?
पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव मनोज पंत द्वारा प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) एनएस निगम को दो पन्नों के निर्देशों में "स्वास्थ्य सुविधाओं में ऑन-ड्यूटी रूम, वॉशरूम, सीसीटीवी, पीने के पानी की सुविधाओं की पर्याप्त उपलब्धता" की जरूरतों का जिक्र किया गया है. इसके अलावा जारी किए गए 10 निर्देशों में से एक में कहा गया है कि इस संबंध में काम जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए.
यह निर्देश जूनियर डॉक्टरों द्वारा बुधवार (18 सितंबर) की रात पश्चिम बंगाल सरकार के साथ अपनी बैठक के प्रमुख बिंदुओं का मसौदा पंत को सौंपे जाने के कुछ घंटों बाद आया. जहां वे राज्य सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे थे. इस निर्देश में यह भी कहा गया है कि राज्य ने सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों का सुरक्षा ऑडिट करने के लिए पूर्व डीजीपी सुरजीत कर पुरकायस्थ को नियुक्त किया है. निर्देश के अनुसार, सभी आदेशों को तुरंत लागू किया जाना चाहिए.
जानें बुधवार रात हुई बैठक में क्या-क्या हुआ?
मुख्य सचिव मनोज पंत की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा कार्यबल और 30 जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल के बीच बुधवार (18 सितंबर) को ‘नबन्ना’ (राज्य सचिवालय) में राज्य द्वारा तय समय से एक घंटे बाद शाम करीब साढ़े 7 बजे बैठक शुरू हुई, जो साढ़े 5 घंटे से ज्यादा समय तक चली. प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कहा कि उन्होंने बैठक में राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पताल कैंपस के अंदर अपनी सुरक्षा के मुद्दों और वादे के अनुरूप कां बल के गठन का विवरण एवं उसके कार्यों को रेखांकित किया.
डॉक्टरों ने ‘रेफरल सिस्टम’ में पारदर्शिता, मरीजों को बिस्तर आवंटन, स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती और परिसरों में प्रचलित 'धमकाने की संस्कृति' को खत्म करने से जुड़े मामले उठाए. डॉक्टरों ने कहा कि उनकी मांगें इस चिंता से जुड़ी हुई हैं कि आरजी कर अस्पताल में जो जघन्य अपराध हुआ है वैसा फिर कभी नहीं हो.
बंगाल सरकार के साथ बैठक के नतीजे से खुश नहीं प्रदर्शनकारी डॉक्टर
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कहा कि सरकार इस बात पर सहमत थी कि हमारी ज्यादातर मांगें जायज हैं और उन्हें तत्काल लागू किया जाना चाहिए. लेकिन बातचीत के अंत में हमें इस बात से निराशा हुई जब मुख्य सचिव ने हमें बैठक की हस्ताक्षरित कार्रवाई का ब्यौरा देने से इनकार कर दिया.
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