Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या के मामले में पूर्व प्रिसिंपल संदीप घोष की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बुधवार (28 अगस्त) को उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी. ऐसे में संदीप घोष की सदस्ता क्यों रद्द की. इस पर आईएमए अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने गुरुवार (29 अगस्त) को विस्तार से बताते हुए कहा कि अनुशासनात्मक पैनल ने पीड़िता के माता-पिता की शिकायतों का संज्ञान लिया है.


हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमए प्रमुख ने डॉ. आरवी अशोकन कहा कि पैनल ने कोलकाता रेप-हत्या पीड़िता के परिवार के इस आरोप पर विचार किया कि पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने उन्हें बताया था कि महिला की मौत आत्महत्या से हुई थी.


जानिए क्या है पूरा मामला?


दरअसल, आईएमए प्रमुख ने डॉ. आरवी अशोकन ने गुरुवार (29 अगस्त) को कहा, "भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) मुख्यालय ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य और कलकत्ता आईएमए शाखा के उपाध्यक्ष डॉ. संदीप घोष की सदस्यता निलंबित कर दी है. आईएमए मुख्यालय में एक अनुशासन समिति गठित की गई है, जिसने पीड़िता के माता-पिता द्वारा व्यक्त की गई शिकायतों पर संज्ञान लिया है.


अनुशासन समिति का कहना है कि पीड़ित ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता संस्थान के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से मिलने में असमर्थ थे. इसके साथ ही पीड़िता के माता-पिता उन्हें यह जानकारी दिए जाने पर भी वे स्तब्ध थे कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है.


संगठन के कई वरिष्ठ सदस्यों ने की थी कार्रवाई की मांग


इस दौरान आईएमए प्रमुख ने डॉ. आरवी अशोकन ने कहा कि डॉक्टरों के संगठन के कई वरिष्ठ सदस्यों ने उन्हें पत्र लिखकर कहा है कि डॉ. संदीप घोष ने पूरे पेशे को बदनाम किया है. डॉ. अशोकन ने कहा, "ये शिकायतें आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महासचिव के समक्ष व्यक्त की गईं थी. आईएमए की बंगाल शाखा और डॉक्टरों के अन्य संगठनों ने लिखा था कि संबंधित सदस्य ने पूरे पेशे को बदनाम किया है, जिसे संज्ञान में लेते हुए आईएमए की अनुशासन समिति ने उनकी सदस्यता निलंबित कर दी है.


SC ने पीड़िता की मौत को सुसाइड बताने पर संदीप घोष को लगाई थी फटकार


इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या को आत्महत्या बताने की कोशिश करने के लिए डॉ. संदीप घोष को भी फटकार लगाई थी.


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