Sanjay Roy Narco Analysis Test: कोलकाता रेप-मर्डर केस के मुख्य आरोपी संजय रॉय ने नार्को टेस्ट करने पर सहमति नहीं दी है. इसे लेकर कोलकाता की एक अदालत ने सीबीआई की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें संजय रॉय का नार्को टेस्ट कराने की मांग की गई थी.


हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (CBI) ने कोलकाता की एक अदालत में शुक्रवार (13 सितंबर) को याचिका दायर की थी. अदालत ने संजय की ओर से इस टेस्ट के लिए सहमति देने से इनकार करने के बाद सीबीआई की मांग खारिज कर दी. 


'आरोपी के वर्जन को वेरिफाई करने के लिए नार्को टेस्ट'


इससे पहले 25 अगस्त को संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट किया गया था. समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक सीबीआई अधिकारी के हवाले से बताया, "सीबीआई अधिकारी संजय रॉय का टेस्ट करना चाहते हैं, जिसका 25 अगस्त को पॉलीग्राफ टेस्ट हो चुका है, ताकि इस मामले में उसके वर्जन को वेरिफाई किया जा सके. यह मुख्य रूप से यह जांचने के लिए है कि रॉय सच कह रहे हैं या नहीं. नार्को टेस्ट से हमें उसके वर्जन को वेरिफाई करने में मदद मिलेगी. ज्यादातर मामलों में लोग इस जांच के दौरान सच बोलते हैं."


कैसे किया जाता है नॉर्को टेस्ट?


नार्को एनालिसिस टेस्ट के दौरान आरोपी के शरीर में सोडियम पेंटोथल का इंजेक्शन लगाया जाता है. इससे आरोपी हिप्नोटिक स्थिति में चला जाता है. इस ड्रग से आरोपी की कल्पना को दबा दिया जाता है और आरोपी पूरी तरह से ड्रग के काबू में होता है. ये टेस्ट मनोचिकित्सक की निगरानी में होता है और उससे घटना से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं. माना जाता है कि हिप्नोटिक स्थिति में होने के कारण आरोपी झूठ नहीं बोलता है.


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