कोलकाता: देश में बेरोज़गारी का आलम क्या है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग 2200 ग्रैजुएट, 500 पोस्ट ग्रैजुएट और लगभग 100 इंजीनियरों ने नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सफाई कर्मचारी की नौकरी के लिए आवेदन किया है. 


इस पद के लिए आठवीं पास की योग्यता मांगी गई थी. साथ ही ऐसे उम्मीदवारों को तरजीह देने की बात कही गई थी जिनके पास अनुभव हो, लेकिन सफाई कर्मचारी की इस नौकरी के लिए ग्रैजुएट,  पोस्ट ग्रैजुएट और इंजीनियर तक ने आवेदन किए हैं.


नौकरी तलाशने वाले सिकंदर मलिक ने कहा, "मेरे पास सफाई कर्मचारी के रूप में 10 साल का अनुभव है, लेकिन उच्च योग्यता वाले लोगों ने आवेदन किया है, इसलिए मुझे यह नहीं मिला. हम आठवीं पास हैं, लेकिन हमें यह नहीं मिला."


अर्थशास्त्री सैबल कर इस मौजूदा स्थिति से हैरान नहीं हैं. उन्होंने कहा, "नौकरी का बाजार खराब है, महामारी के कारण बेरोजगारी चरम पर है, और निजी क्षेत्र पर निर्भरता कम हो गई है, अगर सरकार कम योग्य की तलाश करती है तो नौकरियों को और अधिक वांछनीय बना देती है."


यह पहली बार नहीं है जब ऐसी स्थिति सामने आई है. इससे कुछ साल पहले,पीएचडी, एमफिल और पोस्ट ग्रैजुएट स्नातकों ने मालदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मुर्दाघर में एक अस्थायी नौकरी के लिए आवेदन किया था.


साल 2017 में सागर दत्त मेडिकल कॉलेज में सफाई कर्मचारी के काम में 4 रिक्तियों के लिए कई आवेदकों के पास एमएससी, बीएससी या एमकॉम की डिग्री थी. 2018 में पीएचडी से एमटेक डिग्री धारकों ने जादवपुर विश्वविद्यालय के चपरासी और प्रयोगशाला सहयोगी के पद के लिए आवेदन किया था.


राज्य में सरकारी नौकरी के लिए इस तरह के आवेदन पहली बार नहीं आए हैं, लेकिन एक सफाई कर्मचारी की नौकरी के लिए इतने आवेदन देश की अर्थव्यवस्था की स्तिथि बयान कर रहे हैं.



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