Kolkata High Court: कलकत्ता हाई कोर्ट में सोमवार (202 मई) को जस्टिस चित्त रंजन दास को विदाई दी गई. इस दौरान उन्होंने राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) का भी जिक्र किया. अपने विदाई भाषण में जज दास ने कलकत्ता हाई कोर्ट की विरासत पर बात की और कहा कि 200 साल पहले जब इसकी स्थापना हुई थी, तब इस जगह ने देश के लिए सर्वोच्च न्यायालय के रूप में भी कार्य किया था. 


जस्टिस चित्त रंजन दास ने कहा कि विरासत खो गई है और उच्च न्यायालय ने अखिल भारतीय संदर्भ में अपना नेतृत्व खो दिया है. उन्होंने आगे कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे और संगठन के प्रति उनका बहुत आभार है और अगर वे उन्हें जरूरी समझेंगे तो 37 साल से अधिक समय तक RSS से दूर रहने के बाद वह फिर से इसमें शामिल होने के लिए तैयार हैं.


RSS पर क्या बोले जस्टिस दास


लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस दास ने कहा, "मैं एक संगठन से जुड़ा था, मैं उनका बहुत आभारी हूं. उन्होंने मुझे साहस सिखाया और लोगों के साथ समान व्यवहार करना सिखाया. यहां पर मुझे स्वीकार करना होगा कि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सदस्य था और अब भी हूं. न्यायाधीश बनने के बाद करीब 37 साल पहले मैंने आरएसएस से दूरी बना ली थी, अगर उन्हें किसी काम के लिए मेरी जरूरत है तो मैं फिर से उसमें वापस जाने के लिए तैयार हूं.''


ऐसा रहा चित्त रंजन दास का सफर


बता दें कि चित्त रंजन दास ने साल 1986 में एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद 1999 में ओडिशा न्यायिक सेवा में प्रवेश किया और एक अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में सेवा की. साल 2009 में उन्हें उड़ीसा हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. इसके बाद जून 2022 में कलकत्ता हाईकोर्ट में उनका ट्रांसफर कर दिया गया था.


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