Kolkata Police: कोलकाता में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अभ्यर्थियों के धरना स्थल पर गुरुवार देर रात को नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला, जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को यह कहते हुए तितर-बितर कर दिया कि इलाके में धारा 144 लागू है. वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में एक पुलिस दल ने पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के प्रधान कार्यालय के पास धरने पर बैठे लगभग 500 प्रदर्शनकारियों को हटा दिया, जिन्होंने 2014 की टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद मेधा (मेरिट) सूची से हटाए जाने का दावा किया था.
दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत किसी क्षेत्र में चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक होती है. आदेश का उल्लंघन करना भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडनीय है. इससे पहले, प्रदर्शनकारियों ने घरनास्थल खाली करने की पुलिस की अपीलों नजरअंदाज कर दिया था. प्रदर्शनकारियों ने जोर देकर कहा था कि वे सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूलों में नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र प्राप्त करने के बाद ही धरना खत्म करेंगे.
अभ्यर्थियों को हटाने के लिए किया बल प्रयोग
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने बार-बार अपील करने के बावजूद घटनास्थल से हटने से इनकार कर दिया, इसलिए उन्हें रात 12 बजकर 35 मिनट पर स्थल से हटाने के लिए “मामूली बल” प्रयोग किया गया. हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनमें से कुछ का “शारीरिक शोषण” किया. एक प्रदर्शनकारी शिला दास ने आरोप लगाया, “पुलिसकर्मियों ने हमारे साथ मारपीट की. उन्होंने हमें घसीटा और वाहनों में डाल दिया. यहां तक कि महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया.”
मामले पर शुरू हुई राजनीति
इस मामले पर अब राजनीति होनी शुरू हो गई है. प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों पर पुलिस की कार्रवाई को लेकर बीजेपी ने ममता सरकार पर हमला किया है. पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि मौजूदा हालात बेहद चिंताजनक हैं. राज्य प्राथमिक शिक्षा बोर्ड कार्यालय के बाहर धरना पर बैठे प्रदर्शनकारियों को जबरन उठाने के लिए बल प्रयोग किया गया. उन्होंने कहा कि ये पश्चिम बंगाल है या हिलटर का जर्मनी?
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