Kolkata Rape-Murder Case: आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या मामले को लेकर ममता सरकार पर सवाल उठ रहे हैं. हाल में ही अस्पताल में हुई तोड़फोड़ और मरम्मत के काम को लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं. बंगाल सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि वो इस मामले में सबूतों को नष्ट करने की कोशिश कर रही है. 


इसी बीच बीजेपी के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में उन्होंने आशंका जताई है कि अस्पताल में सबूतों से छेड़छाड़ की गई. इसके अलावा उन्होंने कई बड़े सवाल भी उठाए हैं. 


अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर शेयर किया वीडियो


बीजेपी के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर एक आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में पुलिस वाले समेत कई लोगों की भीड़ नजर आ रही है. इस वीडियो को शेयर करते हुए कहा उन्होंने लिखा, 'बलात्कार और हत्या की शिकार पीजीटी महिला डॉक्टर का शव मिलने के तुरंत बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार कक्ष से चौंकाने वाला फुटेज.  घटनास्थल (पीओ) में इतने सारे डॉक्टरों, पुलिसकर्मियों, अस्पताल के कर्मचारियों और बाहरी लोग मौजूद हैं. इस वजह से क्राइम सीन पूरी तरह से बर्बाद हो गया था.' अमित मालवीय ने वीडियो में नजर आ रहे कई लोगों के नाम भी बताए. 


अमित मालवीय ने बताए कुछ नाम


उन्होंने लिखा, ‘वीडियो में इन लोगों को देखा जा सकता है- 1. आरजी कर चौकी के ऑफिसर इन चार्ज संजीव चट्टोपाध्याय, 2. ग्रीन हाफ शर्ट में वकील शांतनु डे, वो वहां क्या कर रहे थे? 3. पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के पीए प्रसून चट्टोपाध्याय (मैरून शर्ट में) और 4. फोरेंसिक डिमॉन्स्ट्रेटर देबाशीष शोम.’


अमित मालवीय ने उठाए सवाल 


अपने पोस्ट में उन्होंने तीन बड़े सवाल उठाए हैं. उन्होंने लिखा, '1. जब कोलकाता पुलिस वहां मौजूद थी, तो उन्होंने भीड़ को क्राइम सीन पर आने से क्यों नहीं रोका. क्या वो सबूत को नष्ट करना चाहते थे.' 2.अस्पताल परिसर में बाहरी लोगों को किसने बुलाया? 3.कोलकाता पुलिस ने मृतक के माता-पिता को घटनास्थल पर जाने की इजाजत नहीं दी, फिर बाहरी लोगों को क्यों घुसने दिया?






ममता सरकार पर साधा निशाना


अमित ने आगे लिखा, 'इससे ममता बनर्जी सरकार की मंशा और अपराध को छुपाने की उनकी सोची-समझी कोशिशों पर कई सवाल खड़े होते हैं. कोलकाता पुलिस आयुक्त द्वारा दिए गए अमर्यादित बयान इस गंभीर अपराध को और बढ़ाते हैं. सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई की विशेष पीठ के समक्ष दलील पेश करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था, "हमारी जांच अपने आप में एक चुनौती है क्योंकि पीओ बदल दिया गया था!' अब हम जानते हैं कि उनका क्या मतलब था.