कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार (16 अगस्त, 2024) को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई तोड़फोड़ को रोकने के लिए ममता बनर्जी सरकार की ओर से अपनाए गए उपायों की विफलता पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि यह घटना पश्चिम बंगाल में राज्य मशीनरी की पूर्ण विफलता है. कोर्ट ने पुलिस और अस्पताल प्रशासन को इस घटना के संबंध में हलफनामे दायर करने का निर्देश दिया.


जब राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा कि लोगों की भीड़ गुरुवार को तड़के एकत्र हुई थी तो मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि इस बात पर भरोसा कर पाना कठिन है कि पुलिस खुफिया विभाग को अस्पताल में 7,000 लोगों के एकत्र होने की जानकारी नहीं थी.


कोर्ट ने कहा कि आमौतर पर पुलिस के पास इंटेलीजेंस विंग होती है. उन्होंने कहा, 'हनुमान जयंती पर भी ऐसी ही घटना हुई थी. अगर सात हजार लोग इकट्ठा हुए तो इस पर विश्वास कर पाना मुश्किल है कि राज्य सरकार को इस बारे में कुछ नहीं पता था. वैसे आप किसी भी घटना में एस 144 सीआरपीसी ऑर्डर जारी कर देते हैं. तो जब आपको पता है कि इतना बड़ा हंगामा हो रहा है तो आपको पूरे क्षेत्र में घेराबंदी कर देनी चाहिए थी. ये हादसा सरकार की मशीनरी की पूरी तरह से विफलता को दिखाता है. सवाल ये है कि क्या इसको होने से रोका जा सकता था. ये किसने क्या किया ये सवाल बाद में आता है. पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए हैं, क्या इसलिए कि इसमें कानून-व्यवस्था विफल हो गई?'


कोर्ट ने आगे कहा, 'पुलिस को इस घटनाक्रम को ध्यान में रखना चाहिए. उससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि हॉस्पिटल के डॉक्टर, जो वहां प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें पर्याप्त सुरक्षा दी जानी चाहिए. पहले हम डॉक्टरों को मरीजों के इलाज के लिए उनके कर्तव्य की बातें कर चुके हैं, लेकिन इस घटना ने उनके दिमाग पर असर जरूर डाला होगा.'


कोर्ट ने पुलिस और अस्पताल के प्रशासन को निर्देश दिया कि वे मामले में सुनवाई की अगली तारीख 21 अगस्त को वास्तविक स्थिति और सभी संबंधित मामलों का विवरण देते हुए दो अलग-अलग हलफनामे दाखिल करें. बेंच ने कहा कि पुलिस को उन घटनाओं का पूरा विवरण रिकॉर्ड में देना चाहिए जिनके कारण अस्पताल में तोड़फोड़ हुई.


कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को भी नौ अगस्त को अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के मामले की जांच की दिशा में हुई प्रगति की अंतरिम रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. इस घटना के कारण राज्य के सरकारी अस्पतालों में कनिष्ठ चिकित्सक हड़ताल पर हैं.


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