Kolkata Rape Murder Case: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की मुश्किलें बढ़ गई हैं. शुक्रवार (27 सितंबर, 2024) को पता चला कि उनके घर की बिल्डिंग का हिस्सा अवैध है. यही वजह है कि कोलकाता म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन (केएमसी) ने उनके आवास पर नोटिस चिपकाया है.    


इस बीच, देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरजी कर बलात्कार-हत्या से जुड़े मामले में जांच रिपोर्ट में गंभीर खामियां पाई हैं. सूत्रों ने शुक्रवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस को जानकारी दी कि पहली चूक तब पकड़ी गई जब मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट में कहा गया कि उन्हें पीड़िता के शव की जांच के लिए केवल 20 मिनट का समय मिला. यह समय मामले की गंभीरता को देखते हुए असामान्य रूप से कम है. 


सिर्फ 70 मिनट में पूरा हुआ 'PM'


सूत्रों की मानें तो न्यायिक मजिस्ट्रेट को पीड़िता के शव की जांच के लिए बहुत कम समय दिया गया था. जांच अफसर मानते हैं कि इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट तैयार करने में भी जल्दबाजी की गई और पोस्टमार्टम प्रक्रिया को केवल 70 मिनट में पूरा कर लिया गया, जिससे जांच में अनियमितताओं की आशंका है.


और कौन सी लापरवाही सामने आई?


अधिकारियों ने दूसरी बड़ी लापरवाही यह पाई कि जांच रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर पर लगे घावों के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट और शहर की पुलिस की जब्ती सूची में बड़े विरोधाभासों की पहचान हुई है. यह बातें तब सामने आईं, जब केंद्रीय एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जांच का जिम्मा संभाला. ऐसे में पता चलता है कि शुरुआती जांच में अनियमितताएं हुईं.


अगस्त में मिली थी ट्रेनी डॉक्टर की लाश


जांच रिपोर्ट के मुताबिक, महिला डॉक्टर नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार हॉल में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाई गई थी. मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. कानूनी शब्दों में जांच रिपोर्ट वह दस्तावेज है, जो कि पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट की ओर से तब बनाया जाता है, जब कोई व्यक्ति अचानक, अनजाने में या हिंसक तरीके से मरता है. इसमें मृतक की पहचान, उसकी मौत का कारण और यह पता लगाने के लिए तैयार किया जाता है कि क्या मौत अप्राकृतिक या संदिग्ध थी.


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