Kolkata Rape-Murder Case: 'कोलकाता रेप की जांच को...', सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ने कपिल सिब्बल पर लगाए गंभीर आरोप
Kolkata Rape Murder Case: सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल को इस साल मई में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) का अध्यक्ष चुना गया था.
Adish C Aggarawala VS Kapil Sibal: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) विवादों में घिरती नजर आ रही है. इसके अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर मामले में कथित तौर पर एक प्रस्ताव जारी करने के बाद विवादों में घिर गई है.
एससीबीए के पूर्व अध्यक्ष आदिश सी. अग्रवाल ने सिब्बल के खिलाफ आरोप लगाते हुए उन पर घटना की गंभीरता को कमतर आंकने और चल रही जांच को प्रभावित करने के लिए अपने पद का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.
एक चिट्ठी में कपिल सिब्बल का जिक्र करते हुए अग्रवाल ने कहा कि प्रस्ताव अनधिकृत है और कार्यकारी समिति की सहमति के बिना एकतरफा रूप से जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव एससीबीए का सामूहिक निर्णय न होकर सिब्बल का व्यक्तिगत विचार लगता है.
क्या लिखा चिट्ठी में?
अग्रवाल ने कहा, "हमें उक्त मामले पर कार्यकारी समिति की किसी भी चर्चा की जानकारी नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसा कोई प्रस्ताव पारित हुआ हो." उन्होंने कहा कि कार्यकारी समिति के कई अन्य सदस्य भी इस कदम से आश्चर्यचकित हैं. अग्रवाल ने अपनी चिट्ठी में सिब्बल पर हितों के टकराव का भी आरोप लगाया है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सिब्बल संबंधित मामलों में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं.
उन्होंने तर्क दिया कि सिब्बल के कार्यों ने एससीबीए की अखंडता से समझौता किया है और संभावित रूप से मामले में सुप्रीम कोर्ट और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच को प्रभावित कर सकता है.
अग्रवाल ने सिब्बल को दी चेतावनी
अग्रवाल का तर्क है कि इस कार्रवाई से चिकित्सा और कानूनी समुदाय को गहरी ठेस पहुंची है और इससे एससीबीए की प्रतिष्ठा पर भी आंच आई है. चिट्ठी में आगे कहा गया है, "हम, हस्ताक्षरकर्ता, यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम इस जघन्य घटना की कड़ी निंदा करते हैं और हम पीड़ितों, परिवार और न्याय की मांग कर रहे डॉक्टरों के साथ एकजुटता से खड़े हैं."
अग्रवाल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में सिब्बल को चेतावनी दी कि यदि वह "अवैध और अनधिकृत" प्रस्ताव को वापस नहीं लेते हैं और सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते हैं तो उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा.