Kolkata Metro News: पश्चिम बंगाल में देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो की शुरूआत हो गई है. पश्चिम बंगाल की पहचान हुगली नदी के नीचे से मेट्रो ट्रेन गुजर रही है. 260 किलोमीटर लंबी हुगली गंगा नदी का ही एक हिस्सा है. इस नदी के नीचे से कोलकाता मेट्रो अब दौड़ा करेगी. देश की पहली अंडरवाटर ट्रेन यहां नदी के नीचे से गुजरने वाली है. इसे इंजीनियरिंग चमत्कार के तौर पर देखा जा रहा है. 


लंदन, पेरिस और अंडर वॉटर मेट्रो ये वो शब्द हैं, जिन्हें सुनने के बाद हिंदुस्तानी बस हैरान हुआ करते थे. लेकिन अब हैरान होने का नहीं दुनिया को हैरान करने का वक्त आ चुका है. लंदन और पेरिस के बीच जो ट्रेन दौड़ी उसका रास्ता पानी के नीचे से होकर जाता था और अब भारत के कोलकाता शहर में पहली बार हुगली नदी के नीचे से मेट्रो दौड़ने जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (6 मार्च) को कोलकाता अंडरवाटर मेट्रो का उद्घाटन कर दिया है. 


क्या है कोलकाता अंडरग्राउंड मेट्रो की खासियत?


पहली बार ऐसा होगा जब कोई मेट्रो नदी के नीचे चलेगी. हावड़ा से एस्प्लेनेड स्टेशन के बीच 4.8 किलोमीटर का रास्ता है. इसमें से करीब आधा किलोमीटर यानि 520 मीटर का रास्ता पानी से होकर जाता है. आधे किलोमीटर लंबी सुरंग से गुजरने में एक मिनट से भी कम वक्त लगता है. वर्तमान में, ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर 16.6 किमी तक फैला है, जिसमें 10.8 किमी भूमिगत स्थित है, जिसमें हुगली नदी सुरंग भी शामिल है.



माझेरहाट मेट्रो स्टेशन एक अनोखा ऊंचा मेट्रो स्टेशन है, जिसमें एक नहर भी शामिल होगी. भारत का सबसे गहरा मेट्रो स्टेशन होने के साथ-साथ, हावड़ा का ईस्ट-वेस्ट मेट्रो स्टेशन भारत का सबसे बड़ा स्टेशन बनने वाला है. पानी के नीचे बनी सुरंग में मेट्रो की रफ्तार 80 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी. पानी के नीचे होने के बावजूद सुरंग को इस तरह से तैयार किया गया है कि एक बूंद पानी भी सुरंग के भीतर नहीं घुस पाएगा. 


किन चुनौतियों के बाद तैयार हुई मेट्रो सुरंग?


हुगली नदी के नीचे हावड़ा ब्रिज है. इस पुल के ठीक नीचे ही दो सुरंग बनाई गई हैं और इन सुरंगों को ईस्ट वेस्ट मेट्रो का नाम दिया गया है. नदी के भीतर 520 मीटर लंबी सुरंग बनाना कितनी बड़ी चुनौती थी, उसे समझना भी जरूरी है. यहां पर हावड़ा रेलवे स्टेशन है, जो सबसे व्यस्त स्टेशनों में से एक है. हावड़ा रेलवे स्टेशन के सामने ही हुगली नदी बहती है और हावड़ा मेट्रो के लिए जो सुरंग बनाई गई है. उसका एक हिस्सा हावड़ा स्टेशन की जमीन के नीचे से होकर गुजरता है.


चुनौती ये थी कि करीब सौ साल पुराने रेलवे स्टेशन के नीचे से सुरंग निर्माण का काम कैसे शुरू किया जाए. हावड़ा मैदान के बाद से मेट्रो के रास्ते में ऐसे कई इमारतें थीं, जो 100 साल जितनी पुरानी थीं. सबसे बड़ी मुश्किल का सैंपल लेना था.


नदी का पानी कैसे नहीं रुकेगा?


हालांकि, हर चुनौती को पार करते हुए बिना किसी इमारत को चोट पहुंचाए नदी के नीचे 500 मीटर लंबी सुरंग का काम पूरा किया गया. फिर देश में सबसे गहरा यानि जमीन से 30 मीटर नीचे खुदाई करके हावड़ा मेट्रो स्टेशन तैयार किया गया. हावड़ा रेलवे स्टेशन के ठीक पीछे बने हावड़ा मेट्रो स्टेशन के लिए 33 मीटर जमीन में खुदाई की गई जो देश में किसी भी मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए हुई सबसे गहरी खुदाई है.


खुदाई कितनी गहरी हुई उसे इस बात से समझिए कि हुगली नदी से करीब 100 फीट नीचे सुरंग बनाई गई. दस मंजिला इमारत जितनी ऊंची होती है करीब करीब उतनी ही गहराई में सुरंग बनाई गई थी. मेट्रो स्टेशन के लिए रास्ता बनाने के लिए नदी के नीचे खुदाई की गई है, इसलिए पानी ऊपर से आसानी से बहता रहेगा. 


देश के इंजीनियरों के लिए पानी के नीचे सुरंग की खुदाई करना कितना बड़ा चैलेंज था उसे इस बात से समझिए कि किसी भी वक्त पानी का खतरा मंडरा रहा था. इसलिए टनल की खुदाई के लिए जो बोरिंग मशीन मंगवाई गई उसे इस तरह से डिजायन किया गया था अगर नदी के भीतर किसी भी तरह की इमरजेंसी सिचुएशन होती है तो मशीन सबमरीन की तरह जिंदगियों की रक्षा करती.


चार अंडरग्राउंड स्टेशन बनाए गए


दरअसल पहले की तस्वीर कुछ ऐसी थी कि बीच में नदी होने की वजह से सियालदाह से स्प्लेनेड तक ही मेट्रो आती थी. लेकिन अब नदी के नीचे टनल तैयार होने से चार अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन बन गए हैं. कमाल की बात ये है कि हर रोज जिन यात्रियों को हावड़ा स्टेशन तक पहुंचने में एक घंटा लगता था वो सिर्फ चंद मिनटों में सीधे प्लेटफॉर्म तक पहुंच जाएंगे. कोलकाता घनी आबादी के बोझ से दबा वो शहर है जहां सड़कों की भी सांस फूलने लगती है. हावड़ा और सियालदाह के बीच सड़क से दूरी तय करने में एक घंटे से 45 मिनट तक लग जाते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. 


यह भी पढ़ें: पश्चिम बंगाल में नदी के नीचे दौड़ेगी मेट्रो, पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन