नई दिल्ली: झारखंड के गिरिडीह और हजारीबाग में 42 साल से लंबित कोनार नहर परियोजना का उद्घाटन झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 28 अगस्त को दोपहर 12 बजे के करीब किया, और 12 घंटे बाद नहर की दीवार धराशायी हो गई. शुरुआती जांच में इसका कारण चूहों का दीवार में छेद करना बताया गया. बाद में इसे अधकारियों की चूक का नाम दिया गया. लेकिन इन सब के बीच नहर की दीवार टूटने से 50 से ज्यादा किसानों के कई हेक्टेयर खेत की लाखों की फसलें बर्बाद हो गई.
करीब 42 साल पहले जब समग्र बिहार था तब से कोनार नहर सिंचाई परियोजना की शुरुआत की गई थी, जो अब 2019 के अगस्त में पूरी हुई. चुनाव से पहले उद्घाटन के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास हजारीबाग आये, धूमधाम से दिन में करीब 12 बजे उद्घाटन किया गया. लेकिन 12 घंटे बाद ही उद्घाटन स्थल से 10 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद घोसको मौजा में नहर का कच्चा तटबंध टूट गया जिससे आसपास के किसानों की फसलें बर्बाद हो गई.
कोनार नहर परियोजना की कुल लंबाई 216 किलोमीटर है, जिसकी कुल लागत 2176.25 करोड़ है. ये परियोजना तब शुरू हुई थी जब समग्र बिहार हुआ करता था. इसके जरिये 3 जिलों (गिरिडीह, हजारीबाग, बोकारो) के 85 गांवों के किसानों की कुल 62,895 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होनी थी. झारखंड सरकार के जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी पर बनने वाली इस परियोजना की खोखली नींव से अब वो किसान ही परेशान हैं जो इससे लाभान्वित होने वाले थे.
बता दें कि इस नहर के तटबंध टूटने से आसपास के तकरीबन 1 किलोमीटर की दूरी तक के खेतों और फसलों को नुकसान हुआ है. जिन खेतों में बालू की मिट्टी जमा हुई है उसको बाहर निकाले बिना खेत भी दूसरी फसल के लायक नहीं बचे हैं. तकरीबन 50 से ज्यादा किसानों की फसल इससे बर्बाद हुई है. अबतक की कार्रवाई में 4 इंजीनियर को सस्पेंड किया जा चुका है और अभी भी जांच की जा रही है. शुरुआती जांच रिपोर्ट में कहा गया कि चूहों की वजह से दीवार टूटी, बाद में दूसरे कारण दिए गए. लेकिन सवाल अब भी वही है कि आखिर बिना सही ट्रायल के इतनी महत्वपूर्ण, बड़ी और पुरानी परियोजना को क्यों शुरू कर दिया गया. आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए शायद श्रेय लेने की होड़ हो या फिर अधकारियों की बड़ी लापरवाही लेकिन इसका नुकसान उन किसानों को ही होगा जो इसका पिछले 42 साल से इंतजार कर रहे थे.
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