G20 Summit: 8 मोटी, 8 पतली तीलियों के बीच 30-30 बिंदु, मोदी ने बाइडेन को दिखाई जो सूर्य घड़ी उसमें और क्या-क्या?
Konark Sun Temple: कोणार्क के सूर्य मंदिर में बने चक्रों को कई नामों से बुलाया जाता है. कहीं इसे सूर्य चक्र कहते हैं तो कहीं इसे धर्म चक्र, कहीं समय चक्र तो कहीं जीवन का पहिया भी कहा जाता है.
Konark Surya Chakra At G20 Summit: भारत में जी20 समिट का शनिवार (9 सितंबर 2023) को पहला दिन था. पीएम मोदी भारत मंडपमम में खड़े होकर समिट में हिस्सा लेने आए जी20 देशों के नेताओं की आगवानी कर रहे थे. लेकिन इन सब के बीच दुनिया के नेताओं को और वैश्विक मीडिया को जो चीज रोमांचित कर रही थी वो पीएम मोदी के बैकग्राउंड में बना सूर्य चक्र था.
इस चक्र की क्या कहानी है, इसके पीछे का विज्ञान क्या है और इससे क्या संदेश देने की कोशिश हुई है, हम इसके बारे में आपको विस्तार से बताएंगे. सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि कोणार्क के इस चक्र का इतिहास क्या है. ओडिशा के कोणार्क में सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंगा राजवंश के राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में कराया गया था. सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य के रथ को 7 घोड़े खीचते हैं और उसमें 12 पहिए लगे हुए हैं. उसी को ध्यान में रखते हुए इस मंदिर को रथ के आकार का बनाया गया है.
हर चक्र मानव जीवन के विज्ञान को करता है इंगित
कोणार्क के सूर्य मंदिर में बने यह चक्र सनातन धर्म की तरफ ही इंगित नहीं करते हैं बल्कि ये विज्ञान के बारे में भी बताते हैं. पत्थर पर उकेरी गई यह शानदार कलाकृति और इस पर की गई अद्भुत नक्काशी हमारे जीवन से जुड़ी कई वैज्ञानिक बातों की तरफ इशारा करती है. ये पहिए बताते हैं कि आखिर कैसे पूरी दुनिया सूर्य की ऊर्जा से चलती है. यहां मौजूद हर पहिए का व्यास यानी डायमीटर 9.9 फीट है. हर पहिए में आठ मोटी और आठ पतली तीलियां हैं.
सात घोड़े यानी हफ्ते के सात दिन, 12 जोड़े पहिए यानी महीने के बारह दिन और दिन के 24 घंटे. इस पहिए में बनी 8 मोटी तीलियां दिन के हर तीन घंटे के समय को दर्शाती हैं. इन पहियों को जीवन का पहिया भी कहा जाता है. कई जगह पर इसको धर्म चक्र भी कहा गया है तो कई जगह पर इस पहिए को समय चक्र से भी इंगित किया गया है.
इस चक्र में तीलियों का क्या मतलब है?
इस सूर्य चक्र में कुल 8 मोटी तीलियां हैं और 8 पतली तीलियां हैं. हर तीली के बीच में 30 बिंदु हैं. हर बिंदु तीन मिनट का समय बताता है. यानी कुल 90 मिनट. हर मोटी तीली के बीच में मौजूद पतली तीली डेढ़ घंटे के समय का इशारा है. मध्य में जो मोटी तीली है वो रात के रात के 12 बजे का समय बताती है.
12 पहिए यानी ज्योतिषशास्त्र की 12 राशियां
कोणार्क के इस सूर्य मंदिर के 12 चक्र, भारतीय ज्योतिषशास्त्र की 12 राशियों के द्योतक हैं. इसलिए इस चक्र को धर्म चक्र भी कहा जाता है. इस मंदिर में बने 24 चक्र में से दो चक्र ऐसी जगह पर बने हैं जहां से आप उनके अक्ष यानी एक्सेल के बीच में उंगली रखते हैं तो उसकी परछाई से आप सही समय पता लगा सकते हैं. यानी इन पहियों की मदद से सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का समय पता लगाया जा सकता है. इसलिए इनको सूर्य घड़ी भी कहते हैं.
कोणार्क सूर्य मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- इस मंदिर के शीर्ष पर भारी चुंबक रखा गया है और मंदिर के हर दो पत्थरों पर लोहें की प्लेटें लगी हुई हैं. इसलिए चुंबकीय प्रभाव के कारण मूर्ति हवा में तैरती हुई दिखाई देती है.
- सूर्य की किरणों को भारतीय वेद शास्त्रों में उर्जा और जीवन का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इसको रोगों के उपचार और इच्छा पूरी करने के लिए सर्वश्रेष्ठ साधन माना जाता है.
- ऐसे माना जाता है इस मंदिर में सूर्य की पहली किरण सीधे मुख्य प्रवेश द्वार पर पड़ती है, उसके बाद मंदिर से पार होकर वह मूर्ति के केंद्र में हीरे से टकराती हैं और उससे चारों तरफ प्रकाश फैल जाता है.
भारतीय मुद्रा में भी सूर्य चक्र का चित्रण
यह सूर्य चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प कला की उत्कृष्टता का असाधारण उदाहरण है. इसी के चलते भारत सरकार ने इस चक्र का इस्तेमाल 10 रुपये और 20 रुपये की भारतीय करेंसी में भी किया है. बाइडेन को पीएम मोदी इन विशेषताओं के बारे में जानकारी दे रहे थे. इसके अलावा इस मंदिर को 1984 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया था.