Korean War: कोरियाई युद्ध में भारतीय सेना की भूमिका पर आधारित प्रदर्शनी का आयोजन, दिखाई जाएगी दुर्लभ तस्वीरें और वीडियो
Korean War: प्रदर्शनी में भारतीय सेना की 60 पैरा फील्ड एंबुलेंस से जुड़े 32 फोटो और वीडियो प्रदर्शित किए जाएंगे. वीडियो में युद्ध में हिस्सा ले चुके पूर्व-सैनिकों के इंटरव्यू को दिखाया जाएगा.
Korean War Anniversary: कोरियाई युद्ध (1950-53) की 72वीं वर्षगांठ के मौके पर राजधानी दिल्ली (Delhi) स्थित दक्षिण कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र में भारतीय सेना (Indian Army) की पैरा फील्ड एंबुलेंस (हॉस्पिटल) पर गुरुवार से (24 जून-24 जुलाई) एक खास प्रदर्शनी का आयोजन करने जा रहा है. इस प्रदर्शनी में भारतीय सेना के मिलिट्री हॉस्पिटल द्वारा कोरियाई युद्ध (Korean War) में घायल सैनिकों की मदद और उपचार से जुड़ी दुर्लभ तस्वीरें और वीडियो को दिखाया जाएगा.
कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र के मुताबिक, प्रदर्शनी में भारतीय सेना की 60 पैरा फील्ड एंबुलेंस से जुड़े 32 फोटो और वीडियो प्रदर्शित किए जाएंगे. वीडियो में युद्ध में हिस्सा ले चुके पूर्व-सैनिकों के इंटरव्यू, संदेश और उनकी स्मृतियों को दिखाया जाएगा. आपको बता दें कि कोरियाई युद्ध के 70 साल पूरे होने के मौके पर इस प्रदर्शनी को वर्ष 2020 में आयोजित करने का प्लान तैयार किया गया था. कोरोना महामारी के चलते इसे ऑन-लाइन कर दिया गया था.
अब ये प्रदर्शनी कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र के राजधानी दिल्ली स्थित लाजपत नगर सेंटर में नम जुन पाएक हॉल में आयोजित की जा रही है. गुरुवार की शाम 5 बजे से प्रदर्शनी आम लोगों के लिए खोल दी जाएगी और पूरे एक महीने यानि 24 जुलाई तक चलेगी. आपको बता दें कि दिल्ली स्थित कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र (भारत) दक्षिण कोरिया के दूतावास के अधीन है और भारत में कोरियाई संस्कृति के प्रचार-प्रसार के अलावा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है.
भारतीय सेना ने निभाई तटस्थ भूमिका
दरअसल, उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच 1950-53 में जब युद्ध हुआ था तो उस वक्त भारतीय सेना ने किसी एक देश का साथ देने के बजाए तटस्थ भूमिका निभाते हुए अपनी एक मोबाइल मिलिट्री एंबुलेंस प्लाटून को एशिया के सुदूर-पूर्व में युद्ध के मैदान में भेजा था. ये प्लाटून थी 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेंस प्लाटून. आपको बता दें कि कोरियाई प्रायद्वीप में हुए इस युद्ध में चीन और अमेरिका सहित कई देशों ने हिस्सा लिया था, जो या तो उत्तर कोरिया का साथ दे रहे थे या फिर दक्षिण कोरिया का, लेकिन भारत ने एक तटस्थ भूमिका निभाई थी.
भारतीय सेना की इस प्लाटून एंबुलेंस ने युद्ध के मैदान में खतरों के बीच घूम-घूम कर घायल सैनिकों का इलाज किया था. इस दौरान भारत के तीन सैनिकों की जान भी चली गई थी और 23 जवान घायल हुए थे. करीब तीन साल तक चले इस युद्ध (1950-53) में भारतीय प्लाटून जंग के मैदान में डटी रही. इस युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले 60 पैरा फील्ड एंबुलेंस (प्लाटून), लेफ्टिनेंट कर्नल ए.जी. रंगराज को बाद में भारत सरकार ने बहादुरी के दूसरे सबसे बड़े मेडल, महावीर चक्र से नवाजा था. यहां तक की कोरियाई युद्ध के 70 साल पूरे होने पर दक्षिण कोरिया ने भी साल 2020 में लेफ्टिनेंट कर्नल रंगराज को वॉर-हीरो का खिताब दिया था.
कोरियाई वॉर मेमोरियल में भारत को अलग से जगह
कोरियाई युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की याद में दक्षिण कोरिया ने राजधानी सिओल में वॉर मेमोरियल बनाया है. उस वॉर मेमोरियल में 'भारत' के नाम से अलग स्मारक बनाया गया है और तिरंगा झंडा हमेशा लहराता रहता है. उस स्मारक पर 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेस प्लाटून की उपलब्धियों के बारे में भी लिखा है.
वर्ष 2017 में उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच चल रहे तनाव और विवाद की कवरेज के लिए जब एबीपी न्यूज संवाददाता अपने क्रू के साथ दक्षिण कोरिया की राजधानी, सियोल गए थे तब उस वॉर मेमोरियल पर भी गए थे. इस मेमोरियल में लिखा है कि भारतीय सैनिकों ने कोरियाई युद्ध के दौरान 'लैंड ऑफ मॉर्निंग काम' में आजादी और शांति के लिए अपना खून-पसीना बहाया था जो दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ सबंधों को बयां करता है.
भारतीय सेना की ये 60 पैरा फील्ड एंबुलेंस इनदिनों आगरा में तैनात रहती है और जब भी कोई नया कोरियाई राजदूत भारत पहुंचता है वो इस यूनिट का जरुर दौरा करता है. पिछले साल यानि मार्च 2021 में जब दक्षिण कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वॉक भारत की यात्रा पर आए थे तो उन्होनें भी इस फील्ड हॉस्पिटल का दौरा किया था.
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