नई दिल्ली: तीन दिवसीय (25-27 मार्च) दौरे पर भारत आए कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वुक ने आखिरी दिन दोनों देशों के बीच डिफेंस कॉपरेशन के साथ साथ सांस्कृतिक और सैन्य-विरासत को याद किया. दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री ने आगरा में भारतीय सेना की पैरा-ब्रिगेड का दौरा किया तो अयोध्या में ‘नानी’ के मेमोरियल पर श्रद्धांजलि अर्पित की.


कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वुक ने शनिवार को आगरा स्थित भारतीय सेना की पैरा-ब्रिगेड मुख्यालय का दौरा कर 60 पैरा फील्ड एंबुलेंस (हॉस्पिटल) में तैनात डॉक्टर्स और जवानों से मुलाकात की. इस दौरान पैरा-ब्रिगेड के पैरा-ट्रूपोर्स ने कोरियाई रक्षा मंत्री की मौजूदगी में पैरा-जंप सहित अपने कॉम्बेट ऑपरेशन्स की ड्रिल प्रस्तुत की. इस दौरान थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे भी वहां मौजूद थे. कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वुक राजनीति में आने से पहले कोरियाई सेना के प्रमुख रह चुके हैं (2019-20).f


दरअसल, कोरियाई रक्षा मंत्री अपने दौरे के दौरान दक्षिण कोरिया की तरफ से भारतीय सेना को धन्यवाद देने के लिए उसी पैरा-फील्ड हॉस्पिटल में गए जिसने कोरियाई युद्ध (1950-53) के दौरान उत्तर और दक्षिण कोरिया दोनों के घायल सैनिकों का उपचार किया था.


उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच 1950-53 में जब युद्ध हुआ था तो उस वक्त भारतीय सेना ने किसी एक देश का साथ देने के बजाए उसमें लगभग तटस्थ भूमिका निभाते हुए अपनी एक मोबाइल मिलिट्री एंबुलेंस प्लाटून को एशिया के सुदूर-पूर्व में युद्ध के मैदान में भेजा था. ये प्लाटून थी 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेंस प्लाटून. कोरियाई प्रायद्वीप में हुए इस युद्ध में चीन और अमेरिका सहित कई देशों ने हिस्सा लिया था, जो या तो उत्तर कोरिया का साथ दे रहे थे या फिर दक्षिण कोरिया का, लेकिन भारत ने एक तटस्थ भूमिका निभाई थी.


भारतीय सेना की इस प्लाटून एंबुलेंस ने युद्ध के मैदान में खतरों के बीच घूम-घूम कर घायल सैनिकों का इलाज किया था. इस दौरान भारत के तीन सैनिकों की जान भी चली गई थी और 23 जवान घायल हुए थे. करीब तीन साल तक ये युद्ध चला था (1950-53) और प्लाटून ऐसे ही वहां डटी रही. इस युद्ध में भारत सरकार ने इस प्लाटून के कमांडर, लेफ्टिनेंट कर्नल ए.जी. रंगराज को महावीर चक्र से नवाजा था. यहां तक की कोरियाई युद्ध के 70 साल पूरे होने पर दक्षिण कोरिया ने भी पिछले साल लेफ्टिनेंट कर्नल रंगराज को वॉर-हीरो का खिताब दिया था.


कोरियाई युद्ध के खत्म होने पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने युद्ध-बंदियों की अदला-बदली के लिए जो खास कमिशन बनाया गया था, उसका नेतृत्व भी भारतीय सेना की एक खास टुकड़ी ने किया था.



कोरियाई युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की याद में दक्षिण कोरिया ने राजधानी सिओल में वॉर मेमोरियल बनाया है. उस वॉर मेमोरियल में 'भारत' के नाम से अलग स्मारक बनाया गया है और तिरंगा झंडा हमेशा लहराता रहता है. उस स्मारक पर 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेस प्लाटून की उपलब्धियों के बारे में भी लिखा है.


एबीपी न्यूज संवाददाता जब वर्ष 2017 में उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच चल रहे तनाव और विवाद की कवरेज के लिए वहां गए थे तब उस वॉर मेमोरियल पर भी गए थे. इस मेमोरियल में लिखा है कि भारतीय सैनिकों ने कोरियाई युद्ध के दौरान 'लैंड ऑफ मॉर्निंग काम' में आजादी और शांति के लिए अपना खून-पसीना बहाया था जो दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ सबंधों को बयां करता है.


ये फील्ड एंबुलेंस इन दिनों आगरा में तैनात रहती है और जब भी कोई नया कोरियाई राजदूत भारत पहुंचता है वो इस यूनिट में जरूर एक विजिट करता है. उसी कड़ी में शनिवार को कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वॉक भी आगरा का दौरा किया.


आगरा के बाद कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वुक अयोध्या गए और वहां कोरियाई रानी हियो हुवांग ओक के मेमोरियल पर श्रद्धांजलि अर्पित की. कोरियाई मान्यता के मुताबिक, रानी ओक अयोध्या की रहने वाली थीं और दक्षिण कोरिया के गुवांगजो में भी उनका एक मेमोरियल है. अयोध्या से नाता होने के चलते ही कोरियाई लोग भारत को अपना ननिहाल भी मानते हैं.



आपको बता दें कि पिछले कुछ सालों में भारत और दक्षिण कोरिया के बीच सैन्य संबंध काफी मजबूत हुए हैं. हाल ही में भारत ने दक्षिण कोरिया से 100 के-9 वज्र तोपों का सौदा किया था जिन्हें हाल ही में पाकिस्तानी सेना पर तैनात किया गया था और 'सिंधु-सुदर्शन' युद्धभ्यास में दिखाई पड़ी थीं.


दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री सुह वुक के तीन दिवसीय भारत के दौरा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच डिफेंस कॉपरेशन बढ़ाना है. इस दौरान उन्होनें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे से राजधानी दिल्ली में मुलाकात की. साथ ही राष्ट्रीय समर स्मारक पर बहादुर सैनिकों को श्रृद्धांजलि भी अर्पित की और शुक्रवार को दिल्ली कैंट स्थित भारत-कोरियाई ‘फ्रेंडशिप-पार्क’ का भी उद्घाटन किया.