(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोटा: प्रभारी मंत्री ने कहा- जेके लोन अस्पताल के पास पैसों की कोई कमी नहीं, हुई लापरवाही
राजस्थान के कोटा में मासूम बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. मौत का आंकड़ा 105 पहुंच गया है. कोटा के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह ने बच्चों की मौतों को लेकर अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है.
कोटा: राजस्थान में कोटा के सरकारी अस्पताल में 100 से ज्यादा नवजात बच्चों की मौत मामले ने तूल पकड़ लिया है. प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है. शुक्रवार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने जेके लोन अस्पताल का दौरा किया. इस मौके पर कोटा के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह ने बच्चों की मौतों को लेकर अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं.
रघु शर्मा ने कहा कि बच्चों की मौतों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन, डॉक्टरों और नर्सों की थी. अस्पताल प्रशासन के पास पैसों की कोई कमी नहीं है. छह करोड़ से ज्यादा रुपये इनके पास पड़े हैं. अगर अस्पताल में उपकरणों की कमी थी तो प्रशासन को खरीदना चाहिए था. इतने उपकरणों की तो जरूरत भी नहीं है.
अस्पताल का दौरा करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए प्रताप सिंह ने कहा, 'राजस्थान की स्वास्थ्य सेवाओं ने पूरी दुनिया में अपनी मिसाल कायम की है. दुनिया के कई देशों में इसके बारे में स्टडी की जा रही है. ऐसे में हमारे नीयत पर शक नहीं किया जा सकता. राजस्थान के अस्पतालों में दवाइयां पूरी तरह फ्री हैं. मोहल्ला क्लिनिक में सभी सुविधाएं मुफ्त में मौजूद हैं. हमारी सरकार ने निरोगी राजस्थान का नारा दिया है और जल्द ही हम राइट टू हेल्थ का कानून लेकर आ रहे हैं.'
इस बीच, बच्चों की मौतों पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राजस्थान सरकार को नोटिस भेजा है. आयोग ने एक बयान में बताया है कि राजस्थान के मुख्य सचिव को भेजे गए इस नोटिस में चार सप्ताह के भीतर मामले से जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है. भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा ना हो, इसको सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है.
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