Krishna Janmabhoomi Dispute: 'लाल किले की मस्जिद में सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान कृष्ण की मूर्ति निकाली जाए', फास्ट ट्रैक कोर्ट में याचिका दाखिल
याचिका में कहा गया कि मुगल शासक औरंगजेब ने वर्ष 1670 में कृष्ण जन्मभूमि पर बने ठाकुर केशवदेव के मंदिर को तुड़वा दिया था.
Krishna Janmabhoomi Dispute: कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने एक बार फिर दावा किया है कि मुगल शासक औरंगजेब ने भगवान कृष्ण के मंदिर को तुड़वाकर उसमें स्थापित ठाकुर केशवदेव की मूर्ति को आगरा भिजवाकर लाल किले की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबवा दिया था. उन्होंने शुक्रवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट सीनियर डिवीजन जज नीरज गौड़ की अदालत में उपरोक्त याचिका दाखिल कर एक बार फिर अनुरोध किया है कि बेगम साहिबा की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे इन मूर्ति को निकाल कर ठाकुर केशवदेव मंदिर में स्थापित किया जाए और ऐसा होने तक उन सीढ़ियों पर सभी का आवागमन बंद किया जाए.
अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए 23 जनवरी, 2023 की तारीख तय की है. अदालत में किए गए दावे में वादी महेंद्र प्रताप सिंह और वृंदावन निवासी श्यामा नंद पंडित उर्फ शिवचरन अवस्थी ने केंद्रीय सचिव दिल्ली, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, तिलक मार्ग, नयी दिल्ली के महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा के अधीक्षक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मथुरा के निदेशक के माध्यम से भारत संघ को प्रतिवादी बनाया है.
औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ा था
वादी ने कहा कि मुगल शासक औरंगजेब ने वर्ष 1670 में कृष्ण जन्मभूमि पर बने ठाकुर केशवदेव के मंदिर का विध्वंस करा दिया था. मंदिर में स्थापित कीमती रत्नजड़ित छोटे एवं बड़े देव मूर्ति को आगरा ले जाया गया, जिन्हें लाल किले की बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया. यह देव विग्रह आज भी मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफन हैं, जो प्रतिवादीगण के अधीन है.
'मासर ई आलमगीरी’ पुस्तक में तथ्यों का उल्लेख है
वादी ने इस संबंध में कई ऐतिहासिक साक्ष्यों का हवाला देते हुए बताया कि उक्त तथ्यों का उल्लेख औरंगजेब के मुख्य दरबारी मुस्ताक खान के जरिए लिखित पुस्तक ‘मासर ई आलमगीरी’ में किया गया है, जिसका यदुनाथ सरकार ने अरबी भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद किया है. उनके अलावा प्रख्यात इतिहासकार बीएस भटनागर की पुस्तक में भी यह वर्णन मिलता है. महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत से प्रार्थना की है कि उक्त सीढ़ियों पर लोगों को आने जाने से रोका जाए व सीढ़ियों को खुदवा कर उनमें दफन किए गए विग्रहों को निकाल कर ठाकुर केशवदेव मंदिर में स्थापित किया जाए.
उन्होंने बताया कि इससे पहले भी सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में यह दावा किया गया था, लेकिन तब अदालत ने पहले सभी प्रतिवादियों को दो माह का नोटिस देकर पुन: दावा दाखिल करने का निर्देश दिया था. जिसके बाद अब यह दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में किया गया, लेकिन यह मामला त्वरित अदालत में सुना गया. वादीगण वकील महेंद्र प्रताप सिंह, श्रीभगवान शर्मा एवं दिलीप शर्मा ने बताया कि अदालत ने इसकी अगली सुनवाई के लिए 23 जनवरी की तारीख तय की है.
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