नई दिल्ली: वैष्णव जन्माष्टमी के पावन पर्व पर 56 भोग का रहस्य जानने में आम लोग की दिलचस्पी ज्यादा रहती है. लेकिन लोग जानकारी की कमी के कारण ज्यादा जान नहीं पाते हैं. ऐसे में हम आपको 56 भोग से जुड़े रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं. 56 भोग का भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्द्धन पर्वत का संबंध बहुत पुराना है. वहीं 56 भोग में पापड़ से लेकर इलाइची तक शामिल होते हैं. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को मां यशोदा दिन में आठ बार भोजन कराती थीं और इससे उनकी सेहत ठीक रहती थी.


इंद्र के प्रकोप से श्रीकृष्ण का गोवर्द्धन पर्वत पर जाना
इंद्र के प्रकोप से ब्रज को बचाने के लिए श्रीकृष्ण गोवर्द्धन पर्वत पर चले गएं थे. जब श्रीकृष्ण गोवर्द्धन पर्वत पर थे तो उस दौरान वो सात दिनों तक खाने का सेवन भी नहीं कर पाएं थे. साथ ही गोवर्द्धन पर्वत पर आठवें दिन यानी बारिश रुकने के बाद श्रीकृष्ण ने लोगों से गोवर्द्धन पर्वत से बाहर आने को कहा था.


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इस बीच मां यशोदा ने श्रीकृष्ण के सात दिनों के आठ पहर के खाने को 56 भोग लगाकर पूरा किया. श्रीकृष्ण के लिए गोपियों ने भी पूजा की और उन्हें अगले जन्मों में अपना बनाने की इच्छा जताई. जब उनकी मुराद पूरी हो गई तब गोपियों ने श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाकर खिलाया. श्रीमद् भागवत के मुताबिक, गोपियों ने एक महीने तक सुबह नहाने के बाद मां कात्यायनी की पूजा भी की थी. आज भी ब्रज के मंदिरों में दूध, दही और घी से ही अधिकांश भोजन को बनाया जाता है.


56 भोग में कौन-कौन से व्यंजन हैं शामिल
इसमें चावल, दाल, चटनी, कढ़ी, दही शाक की कढ़ी, सिखरन, आंवले का शरबत, बाटी, मुरब्बा, त्रिकोण, बड़ा, मठरी, फेनी, पूरी, खजला, घेवर, मालपुआ, चोला, जलेबी, मेसू, रसगुल्ला, चंद्रकला, रायता, थूली, लौंगपुरी, खुरमा, दलिया, परिखा, सौंफ, बिलसारू, लड्डू, साग, अचार, मोठ, खीर, दही, घी, मक्खन, मलाई, रबड़ी, पापड़, सिरा, स्सी, मोहनभोग, सुपारी, इलाइची, फल, तांबूल, नमक से बना व्यंजन, मिर्च, मीठा शामिल है.