Fatwa In Islam: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि कुफ्र के फतवों की इस्लाम में कोई जगह नहीं है और इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है. केरल गवर्नर ने ये बात रविवार (15 जनवरी) को आरएसएस के साप्ताहिक पत्र पांचजन्य की तरफ से आयोजित कॉन्क्लेव में कही. उन्होंने कहा कि जब वे कांग्रेस में थे, तब से उनके खिलाफ तब से फतवा दिया जाता रहा है.
कुफ्र फतवे को लेकर उन्होंने धार्मिक आदेशों का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से राजनीतिक कारणों से फतवे जारी करके मुसलमानों को भी उस श्रेणी में डाला गया जहां पर उनके ऊपर धर्म के प्रति अविश्वास या ईशनिंदा का आरोपी बनाया गया.
शासकों और धर्मगुरुओं का गठजोड़
राज्यपाल ने कहा, इस्लाम में धर्मगुरु जो फतवे देते हैं उसे शासकों ने तैयार कराया था. यह भी दावा किया कि कुरान में दर्जनों ऐसे घटनाक्रम मौजूद हैं जहां कहा गया है कि क्या सही और क्या गलत है यह पैगंबर भी नहीं, केवल अल्लाह ही तय कर सकता है.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि हर समाज में दो विचार होते हैं. लेकिन जो सत्ता में होते हैं वे अपना ही विचार चलाते हैं. शासकों ने धर्मगुरुओं को इसीलिए तैयार किया ताकि उनके फैसलों को धार्मिक वैधता मिल सके. पैंगबर के निधन के बाद से इस्लाम को राजनीति ने अपने कब्जे में ले लिया है.
हिंदी बोलने पर फतवा
केरल के राज्यपाल ने दावा किया, "कुरान में कम से कम 200 ऐसे उदाहरण हैं जहां कहा गया है कि केवल बनाने वाला (अल्लाह) ही तय कर सकता है कि क्या सही है और क्या गलत... इसका फैसला तब होगा जब लोग मरेंगे और अपने रचयिता से मिलेंगे. कुरान के मुताबिक किसी इंसान को, यहां तक कि पैगंबर को भी, इसे तय करने का अधिकार नहीं दिया गया है."
राज्यपाल ने कहा कि जब उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया था, उस समय वह 'भाजपा का हिस्सा' भी नहीं थे. उन्होंने बताया "मैं अपना भाषण हिंदी में दिया करता था. उन दिनों हिन्दी के शब्दों के इस्तेमाल पर भी आपको फतवा मिल जाता था.''
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