कुलभूषण जाधव मामलाः ICJ में भारत की जीत की कहानी, जानें अब तक क्या-क्या हुआ
आज फैसले को पढ़ते हुए अदालत के अध्यक्ष जज अब्दुलकावी अहमद यूसुफ ने कुलभूषण सुधीर जाधव को दोषी ठहराये जाने और सजा पर फिर से विचार करने का आदेश दिया.
नई दिल्लीः इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत को बड़ी जीत हासिल हुई है और भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर आईसीजे ने फिलहाल रोक लगा दी है. आईसीजे ने पाकिस्तान को जाधव के लिए सुनाई गयी फांसी की सजा पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है. आईसीजे के शीर्ष न्यायाधीश ने कहा कि जाधव के भारतीय नागरिक होने पर संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है.
आईसीजे के शीर्ष न्यायाधीश ने जाधव मामले में भारत के आवेदन की स्वीकार्यता पर पाकिस्तान की आपत्तियों को खारिज कर दिया है और कहा है कि भारत का आवेदन स्वीकार करने योग्य है. आज फैसले को पढ़ते हुए अदालत के अध्यक्ष जज अब्दुलकावी अहमद यूसुफ ने कुलभूषण सुधीर जाधव को दोषी ठहराये जाने और सजा पर फिर से विचार करने का आदेश दिया. अब जब कुलभूषण जाधव को आईसीजे से राहत मिल चुकी है तो आपके लिए ये जानना जरूरी है कि अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ है और भारत ने किस तरह ये लड़ाई जीती है.
अब तक क्या हुआ?
3 मार्च 2016 को गिरफ्तार हुए कुलभूषण जाधव पाकिस्तान के अपने दावे के मुताबिक उसने जाधव को 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया था. पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी के बाद भारत को इसकी जानकारी करीब दो हफ्ते बाद दी.
24 मार्च 2016 को भारत दी गई जानकारी कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी की सूचना भारत को 24 मार्च 2016 को दी गई. सूचना देने में पाकिस्तान की इस देरी पर भी भारत ने आपत्ति जताई थी.
फरवरी 2017 में जाधव के खिलाफ पाक में सैन्य अदालत में सुनवाई की कार्रवाई पूरी हुई पाकिस्तान ने फरवरी 2017 में कुलभूषण जाधव के खिलाफ सैन्य अदालत में सुनवाई की कार्रवाई पूरी कर ली थी
अप्रैल 2017 में पाकिस्तान ने सुनाई जाधव को फांसी की सजा भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी कुलभूषण जाधव (49) को पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में बंद कमरे में सुनवाई के बाद 'जासूसी और आतंकवाद' के आरोपों में मौत की सजा सुनाई थी.
8 मई 2017 को भारत आईसीजे पहुंचा उनकी सजा पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और फैसले के खिलाफ भारत ने 8 मई 2017 को आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था. अदालत ने भारत की अंतिरम राहत अपील के हक में फैसला देते हुए पाकिस्तान को इस मामले में आईसीजे का निर्णय आने तक अदालत कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाने का आदेश दिया था. इसके बाद बीते दो सालों में भारत और पाकिस्तान को पहले लिखित और फिर मौखिक रूप से अपना-अपना पक्ष रखने का मौका दिया.
18 मई 2017 को आईसीजे ने पाकिस्तान को मौत की सजा पर अमल से रोक लगाई पाकिस्तानी मिलिट्री कोर्ट द्वारा 10 अप्रैल 2017 को कुलभूषण जाधव को सज़ा-ए-मौत सुनाए जाने के बाद आईसीजे में भारत की अपील के बाद 10 सदस्यीय पीठ ने 18 मई 2017 को पाकिस्तान को जाधव की मौत की सजा पर अमल से रोक दिया था.
फरवरी 2019 में हुई अंतिम सुनवाई मामले पर अंतिम सुनवाई फरवरी 2019 में हुई थी जब दोनों देशों के वकीलों ने दलीलें रखी थी. भारत का पक्ष पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने रखा था. पाकिस्तान की तरफ से चौधरी खावर कुरैशी अदालत के सामने पेश हुए थे. अदालत ने करीब 6 महीने का वक्त लेने के बाद अपना फैसले की तारीख तय की और आज पाकिस्तान को जाधव की फांसी की सजा पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है.
21 फरवरी 2019 को अदालत ने रखा था फैसला सुरक्षित आईसीजे के जज यूसुफ के नेतृत्व में 15 सदस्यीय पीठ ने भारत और पाकिस्तान की मौखिक दलीलों को सुनने के बाद 21 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. मामले की कार्यवाही पूरी होने में दो साल दो महीने का समय लगा.
भारत ने तीन सालों में 30 बार कॉन्सुलर एक्सेस के लिए कहा पर पाक नहीं माना बीते तीन सालों में अब तक भारत करीब 30 बार जाधव के कॉन्सुलर सम्पर्क के लिए पाकिस्तान को आग्रह कर चुका है. यहां तक कि 1 जुलाई 2019 को भी भारत ने जाधव के लिए कॉन्सुलर संपर्क की इजाजत का अपना आग्रह पाकिस्तान का आगे दोहराया.
तारीख दर तारीखवार जानें कुलभूषण जाधव मामले की पूरी कहानी
3 मार्च 2016 : पाकिस्तान ने पूर्व भारतीय नौसैन्य अधिकारी कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार किया .
24 मार्च, 2016: पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया कि जाधव ‘भारतीय जासूस’ हैं, जिन्हें बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया गया.
26 मार्च, 2016: भारत सरकार ने दावा किया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ईरान में कार्गो कारोबार के मालिक जाधव को बलूचिस्तान में गिरफ्तार किया गया था, जैसा कि पाकिस्तान ने दावा किया था.
29 मार्च, 2016: नयी दिल्ली ने जाधव के लिए इस्लामाबाद से राजनयिक पहुंच की अनुमति मांगी. अगले एक साल में उसने 16 ऐसे अनुरोध किए, जिन्हें पाकिस्तान ने अस्वीकार कर दिया.
10 अप्रैल, 2017: एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने जाधव को ‘पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों’ में शामिल होने के लिए मौत की सजा सुनाई. भारत ने इस्लामाबाद को आगाह किया कि यह पूर्व-नियोजित हत्या का मामला है.
11 अप्रैल, 2017: तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद के दोनों सदनों में बयान दिया कि जाधव को न्याय दिलाने के लिए भारत हर कदम उठाएगा.
14 अप्रैल, 2017: भारत ने पाकिस्तान से आरोपपत्र की प्रमाणित प्रति के साथ-साथ जाधव को मौत की सजा के फैसले की प्रति की मांग की और उनके लिए दूतावास संबंधी पहुंच देने की मांग की.
20 अप्रैल, 2017: भारत ने आधिकारिक तौर पर कुलभूषण जाधव के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही के साथ-साथ मामले में अपील की प्रक्रिया का विवरण भी मांगा.
27 अप्रैल, 2017: तत्कालीन विदेश मंत्री स्वराज ने पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज को पत्र लिखकर जाधव के परिवार के लिए वीजा का अनुरोध किया.
8 मई, 2017: भारत ने पाकिस्तान सैन्य अदालतों के फैसले के खिलाफ हेग में अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) का दरवाजा खटखटाया.
9 मई, 2017: आईसीजे ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी.
15 मई, 2017: आईसीजे में जाधव के मामले पर भारत और पाकिस्तान में बहस हुई. नई दिल्ली ने मौत की सजा को तुरंत रद्द करने की मांग की और इस्लामाबाद पर आरोप लगाया कि वह गलत याचिका के जरिए विश्व निकाय के मंच का दुरूपयोग कर रहा है.
18 मई, 2017: आईसीजे ने अपने अंतिम आदेश तक पाकिस्तान को सजा पर रोक लगाए रखने के लिए कहा.
26 दिसंबर, 2017: पाकिस्तानी सेना द्वारा गिरफ्तार किए जाने और जासूसी का आरोप लगाए जाने के एक साल से अधिक समय बाद, कुलभूषण जाधव अपनी पत्नी और मां से मिले.
17 अप्रैल, 2018: भारत ने जाधव के मामले में आईसीजे में लिखित जवाब दायर किया.
17 जुलाई, 2018: पाकिस्तान ने जाधव की दोषसिद्धि पर आईसीजे में अपना दूसरा प्रतिवाद दायर किया.
22 अगस्त, 2018: जाधव के मामले की सुनवाई के लिए आईसीजे ने फरवरी 2019 का वक्त निर्धारित किया.
21 नवंबर, 2018: तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कुलभूषण जाधव तक राजनयिक पहुंच देने की मांग की.
18 फरवरी 2019 : कुलभूषण जाधव के मामले में चार दिन की सुनवाई हुई.
19 फरवरी 2019: भारत ने आईसीजे से आग्रह किया कि वह जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा दी गयी मौत की सजा को रद्द करे और उसकी तत्काल रिहाई का आदेश दे.
20 फरवरी, 2019 : भारत ने पाकिस्तान की कुख्यात सैन्य अदालतों के कामकाज पर सवाल उठाए और आईसीजे से जाधव की मौत की सजा को निरस्त करने का आग्रह किया.
21 फरवरी, 2019: पाकिस्तान ने आईसीजे से जाधव को राहत देने के लिए भारत के दावे को ‘खारिज या अस्वीकार्य’ घोषित करने के लिए कहा.
4 जुलाई, 2019 : आईसीजे ने घोषणा की कि वह 17 जुलाई को कुलभूषण जाधव मामले में फैसला सुनाएगा.
17 जुलाई, 2019 : भारत के लिए एक बड़ी जीत के तौर पर आईसीजे ने फैसला दिया कि पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव के लिए मौत की सजा की समीक्षा करनी चाहिए और उसे राजनयिक पहुंच प्रदान करनी चाहिए.
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