नई दिल्ली: पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान ने दावा किया है कि जाधव ने पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार कर दिया है. पाकिस्तान ने कहा कि जाधव ने अपनी लंबित दया याचिका के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है.


पाकिस्तान के अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल अहमद इरफान ने बुधवार को दावा किया कि 17 जून, 2020 को भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को उनकी सजा और सजा पर पुनर्विचार के लिए एक याचिका दायर करने के लिए आमंत्रित किया गया था. उन्होंने दावा किया कि अपने कानूनी अधिकार का प्रयोग करते हुए कुलभूषण जाधव ने सजा और सजा पर पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार कर दिया.


एक संवाददाता सम्मेलन में अधिकारी ने कहा कि जाधव ने 17 अप्रैल, 2017 को दायर अपनी दया याचिका पर जोर दिया है. पाकिस्तान की मीडिया रपटों के अनुसार, पाकिस्तान सरकार ने जाधव को दूसरी कांसुलर संपर्क की पेशकश की है. जाधव को अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोप में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी.


इसके बाद भारत ने जाधव तक कांसुलर या राजनयिक पहुंच से इनकार करने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का दरवाजा खटखटाया था.


इस साल मई में पाकिस्तान ने कहा था कि उसने जाधव मामले में आईसीजे के फैसले का पूरी तरह से पालन किया है. इसके कुछ दिनों बाद भारत के प्रमुख वकील ने दावा किया कि नई दिल्ली को उम्मीद है कि वह बैक चैनल के माध्यम से मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी को रिहा कराने में सक्षम हो सकते हैं.


वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे हेग स्थित आईसीजे में जाधव मामले में भारत के लिए मुख्य वकील थे. अदालत ने पिछले साल जुलाई में फैसला सुनाया था कि पाकिस्तान को जाधव की सजा की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करना चाहिए और साथ ही भारत को और अविलंब कांसुलर एक्सेस भी प्रदान करना चाहिए.


जाधव एक सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना अधिकारी हैं. पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि जाधव एक वरिष्ठ भारतीय खुफिया अधिकारी हैं, जिन्होंने गिरफ्तारी के समय शांति भंग करने के लिए अवैध रूप से पाकिस्तान में प्रवेश किया था.


जुलाई 2019 में आईसीजे ने पाकिस्तान को आदेश दिया था कि वह जाधव को फांसी न दे और उसे सैन्य अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा पर पुनर्विचार करने को कहा.


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