नई दिल्ली: भारत ने कहा कि उसने बार-बार पाकिस्तान से कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के फैसले का अक्षरश: पालन करने को कहा लेकिन पड़ोसी देश ने जाधव को निर्बाध राजनयिक पहुंच प्रदान नहीं की. साथ ही निष्पक्ष सुनवाई के लिये उपयुक्त माहौल सृजित करने में विफल रहा.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कुलभूषण जाधव मामले में आईसीजे के फैसले को प्रभावी बनाने के लिये उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा अपील दायर करने का अधिकार देने के लिए पाकिस्तान की संसद द्वारा कानून बनाए जाने के बारे में मीडिया के सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही.
यह कानून पूर्व के अध्यादेश की कमियों को संहिताबद्ध करता है- विदेश मंत्रालय
बागची ने कहा, ‘‘हमने पाकिस्तान द्वारा पूर्व के अध्यादेश को कानून के रूप में परिवर्तित करने के संबंध में खबरें देखी है जो कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के फैसले को प्रभावी बनाने के लिये बनाया गया है.’’ उन्होंने कहा कि जैसा कि पूर्व में कहा गया है कि अध्यादेश में आईसीजे के फैसले के तहत श्री जाधव के मामले की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार के लिये तंत्र सृजित नहीं करता है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह कानून पूर्व के अध्यादेश की कमियों को संहिताबद्ध करता है.’’ उन्होंने कहा कि भारत ने बार बार पाकिस्तान से कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के फैसले का अक्षरश: पालन करने को कहा. बागची ने कहा कि पाकिस्तान ने जाधव को निर्बाध राजनयिक पहुंच प्रदान नहीं की तथा निष्पक्ष सुनवाई के लिये उपयुक्त माहौल सृजित करने में विफल रहा.
जासूसी और आतंकवाद के आरोप में सुनाई थी मौत की सजा
गौरतलब है कि पाकिस्तान में मृत्युदंड सुनाए जाने के बाद भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव को सैन्य अदालत द्वारा उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा अपील दायर करने का अधिकार देने के लिए पाकिस्तान की संसद ने बुधवार को अपनी संयुक्त बैठक में एक कानून बनाया था. भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (51) को अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोप में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच देने और मौत की सजा को चुनौती देने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) का रुख किया था.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने जुलाई 2019 में फैसला दिया जिसमें पाकिस्तान से भारत को जाधव तक राजनयिक पहुंच देने और उनकी सजा की समीक्षा सुनिश्चित करने को कहा गया. बुधवार को सीनेट और नेशनल असेंबली की संयुक्त बैठक कुछ कानूनों को पारित करने के लिए बुलायी गयी जिन्हें नेशनल असेंबली में इस साल जून में पारित किया गया था. इनमें जाधव को उनकी सजा के खिलाफ अपील का अधिकार देने वाला कानून भी शामिल था.
यह भी पढ़ें.
India-China Talks: क्या अब खुलेगा तनाव का ताला? LAC विवाद सुलझाने के लिए 14वीं बार मिले भारत-चीन