नई दिल्लीकुलभूषण जाधव को आज पाकिस्तान में अपनी सजा के खिलाफ अपील करने का आखिरी दिन है, लेकिन पाकिस्तान उनको दुनिया की नजरों से छुपा कर रखे हुए है. ऐसे में सवाल उठता है कि वो कैसे अपनी सजा के खिलाफ अपील करेंगे ? जाधव के मामले में पाकिस्तान का झूठ कल अंतर्राष्ट्रीय अदालत में भी बेनकाब हुआ है.


चौदह महीने से पाकिस्तान की जेल में कैद कुलभूषण जाधव को कल बड़ी राहत मिली. नीदरलैंड के हेग में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के 15 जजों की बेंच ने जब अपना फैसला सुनाना शुरू किया तो जाधव पर पाकिस्तान का झूठ परत दर परत खुलता गया. अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने भारत की अपील को सही मानते हुए जाधव की फांसी पर रोक लगाने का फैसला सुना दिया.


4 अप्रैल को पाकिस्तान के मिलिट्री कोर्ट ने भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी. भारत ने कुलभूषण के जासूस होने की बात से साफ इंकार करते हुए पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि वो ऐसा कोई कदम उठाने की हिम्मत न करे. 8 मई को भारत ने इंटरनेशलन कोर्ट में पाकिस्तान के खिलाफ अपील की. लेकिन पाकिस्तान वहां भी झूठ बोलने से बाज नहीं आया.


पाकिस्तान ने कहा कि जाधव जासूस था, उसे दी गई फांसी जायज, कॉन्सुलर एक्सेस जरूरी नहीं है. इस पर भारत की दलील थी कि पाकिस्तान ने विएना संधि का उल्लंघन किया. गिरफ्तारी के बाद कॉन्सुलर एक्सेस जाधव का अधिकार है.


अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट का फैसला  विएना संधि में कहीं नहीं लिखा कि आतंकवाद या जासूसी के आरोपी नागरिक को कॉन्सुलर एक्सेस नहीं मिल सकती. जज ने कहा, ‘’कोर्ट को लगता है कि कुलभूषण को कब्जे में लेने के बाद पाकिस्तानी उन्हें कानूनी मदद पहुंचाने के मामले में पाकिस्तान नाकाम रहा है. जबकि विएना समझौता के तहत कानूनी मदद का हक मिलना चाहिए.’’


पाकिस्तान लगातार कुलभूषण जाधव को भारत का जासूस बताता रहा है. भारत ये साफ कर चुका है कि कुलभूषण भारतीय नौसेना का पूर्व अधिकारी था और कथित गिरफ्तारी के वक्त वो ईरान में अपना कारोबार कर रहा था. पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण जाधव को 3 मार्च 2016 को पाकिस्तान के बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था.


भारत ने दलील दी कि  जाधव को 2016 में ईरान से अगवा कर, जानबूझ कर उसकी गिरफ्तारी बलूचिस्तान में दिखाई गई. अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने माना है कि कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी विवादित मसला है. पाकिस्तान का कहना है कि जाधव के पास फैसले के खिलाफ अपील के तीन मौके हैं इसलिए 6 महीने से पहले उसे फांसी नहीं होगी. भारत ने कहा कि पाकिस्तान कभी भी जाधव को फांसी दे सकता है.


अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने माना कि जाधव की जान को खतरा है, क्योंकि पाकिस्तान ने कोर्ट में ये आश्वासन नहीं दिया कि सुनवाई पूरी होने तक उसे फांसी नहीं दी जाएगी. अंतरराष्ठ्रीय कोर्ट अब जाधव की फांसी पर मेरिट के आधार पर सुनवाई करेगा और उम्मीद की जा रही है कि अगस्त तक उसका अंतिम फैसला आ सकता है.


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