नई दिल्ली: उन्नाव के बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सेंगर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार के मामले में उम्र कैद की सजा दी है. कोर्ट ने सेंगर पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. आइए जान लेते हैं कि इस फैसले के बाद उसकी विधानसभा सदस्यता का क्या होगा?
सेंगर की विधानसभा सदस्यता अब रद्द हो जाएगी. इसकी वजह है 2013 में लिली थॉमस बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला. 11 जुलाई 2013 को जस्टिस ए के पटनायक और एस जे मुखोपाध्याय ने अपराधी जनप्रतिनिधियों की सदस्यता बचाने वाले कानूनी प्रावधान को रद्द कर दिया था. बेंच ने रिप्रेजेंटेशन आफ पीपल्स एक्ट यानी जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) को असंवैधानिक माना था.
इस धारा में सांसद या विधायक को किसी आपराधिक मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा पाने के बाद 3 महीने के भीतर ऊपर की अदालत में अपील की छूट दी गई थी. साथ ही यह कहा गया था कि अपील लंबित रहने तक उन्हें संसद या विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य नहीं माना जाएगा. इस धारा का व्यवहारिक असर यह होता था कि गंभीर अपराध में किसी सांसद विधायक के सजा पाने के बावजूद वह सदन का सदस्य बना रहता था.
2005 में वरिष्ठ वकील लिली थॉमस और एनजीओ लोक प्रहरी के एस एन शुक्ला की तरफ से दायर याचिका में इस प्रावधान को संविधान के खिलाफ बताया गया था. इसमें कहा गया था कि यह अनुच्छेद 14 यानी कानून की नजर में समानता के मौलिक अधिकार का सीधा सीधा उल्लंघन है. किसी सामान्य नागरिक को दोषी करार दिए जाते ही अपनी नौकरी छोड़नी पड़ती है. लेकिन सांसद और विधायक की सदस्यता पर इस प्रावधान के चलते कोई फर्क नहीं पड़ता है. यह प्रावधान राजनीति के अपराधीकरण को बढ़ावा भी देने वाला है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलील को स्वीकार करते हुए अपने फैसले जनप्रतिनिधित्व कानून के सेक्शन 8 (4) को निरस्त कर दिया था. इस फैसले के बाद से कोई भी जनप्रतिनिधि अगर किसी अदालत से 2 साल से ज्यादा की सजा पाता है तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से निरस्त हो जाती है. कुलदीप सेंगर के साथ भी ऐसा ही होगा. निचली अदालत का फैसला आने के बाद उन्हें बाकी तमाम दोषियों की तरह हाई कोर्ट में अपील दायर करने की इजाजत तो होगी. लेकिन अपील दायर करने के चलते उसकी सदस्यता नहीं बच जाएगी. उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से निरस्त हो चुकी है.
कोर्ट के फैसले की आधिकारिक कॉपी मिलते ही विधानसभा अध्यक्ष सचिवालय सेंगर की सदस्यता खत्म करार देगा. इसके बाद चुनाव आयोग बांगरमऊ विधानसभा सीट को खाली घोषित करते हुए उसमें चुनाव की तारीख का ऐलान कर देगा. दोषी कुलदीप सेंगर को जेल में रहते हुए भी चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा.
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