समाज में कड़ा संदेश देने के लिए कुलदीप सिंह सेंगर को दी जाए कड़ी से कड़ी सजा- CBI
जांच एजेंसी की तरफ से कहा गया कि जिन धाराओं के तहत कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया गया है उसमें कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है. पीड़िता के वकील ने पीड़िता के लिए उचित मुआवजा देने की मांग भी की.
नई दिल्ली: 2017 में उन्नाव में हुए बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को कितनी सज़ा दी जाए इसको लेकर बहस 20 दिसंबर को भी जारी रहेगी. आज अदालत में सजा पर बहस के दौरान जांच एजेंसी सीबीआई ने सेंगर के लिए अधिकतम सजा देने की मांग की.
अधिकतम उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान
जांच एजेंसी की तरफ से कहा गया कि जिन धाराओं के तहत कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया गया है उसमें कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है. सीबीआई ने दलील देते हुए कहा की बलात्कार की घटना में पीड़िता का पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है क्योंकि उसको जीवन भर एक मानसिक प्रताड़ना को झेलना पड़ता है. ऐसे मामलों में कड़ी से कड़ी सजा दी जाने की जरूरत है जिससे कि समाज में कड़ा संदेश जा सके.
सेंगर द्वारा करवाए गए विकास कार्यों का हवाला देकर कम से कम सजा देने की मांग
वहीं कुलदीप सिंह सेंगर के वकील की दलील थी कि कुलदीप सिंह सेंगर को इन धाराओं में जो न्यूनतम सजा है वह दी जाए क्योंकि कुलदीप सिंह सेंगर का जेल में आचरण काफी अच्छा रहा है. इतना ही नहीं पिछले करीबन 31 सालों से वह सार्वजनिक जीवन में है और कभी उसके ऊपर किसी तरह का आरोप नहीं लगा. यहां तक कि सार्वजनिक जीवन में रहते हुए कुलदीप सिंह सेंगर ने कई विकास के काम करवाएं और अपने इलाके का निरंतर विकास किया है.
पीड़िता के लिए उचित मुआवजे की मांग
पीड़िता के वकील ने पीड़िता के लिए उचित मुआवजा देने की मांग भी की जिसका सेंगर के वकील ने विरोध किया. जिसके बाद अदालत ने कहा कि मामले में कितना उचित मुआवजा हो सकता है यह दोनों पक्षों की आर्थिक हालात को देखते हुए तय किया जा सकता है. लिहाजा पीड़िता के आर्थिक हालात कैसे हैं इस बारे में पीड़िता के वकील से जानकारी मांगी गई. वहीं सेंगर के आर्थिक हालात कैसे हैं इस बारे में सेंगर के वकील को कोर्ट को अगली सुनवाई यानी 20 दिसंबर तक जानकारी देनी होगी.
कोर्ट ने सबूतों को पुख्ता मान दोषी ठहराया
इससे पहले 16 दिसंबर को अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर को उन्नाव रेप मामले में दोषी करार दिया था. अदालत ने अपने आदेश में कुलदीप सिंह सेंगर की तरफ से दी गई उस दलील को भी खारिज किया था जिसमें पीड़िता द्वारा इस मामले में एफआईआर कथित घटना के कई दिनों बाद दर्ज करवाने की बात की गई थी. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पीड़िता उस दौरान डरी और सहमी हुई थी और खुद की और परिवार की जान बचाने के लिए इस केस को दर्ज करवाने में देरी हुई. कोर्ट ने इसके साथ ही कुलदीप सिंह सेंगर के वकीलों की तरफ से दी गई उस दलील को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि सेंगर के मोबाइल की लोकेशन घटना के दिन कई किलोमीटर दूर दिखा रहा था कोर्ट ने कहा कि वह दूरी करीब 14 किलोमीटर की थी जो कि ऐसे सुनसान इलाके में कुछ मिनटों में पूरी हो सकती है. कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार की धारा के साथ ही पोक्सो एक्ट की धारा के तहत भी दोषी करार दिया है क्योंकि उस दौरान पीड़िता की उम्र नाबालिग थी.