'पार्टी-बंधक पर्यावरण-रक्षकों व सरकारानुकूल सनातन धर्मावलंबियों...', जोशीमठ मामले पर कुमार विश्वास का तंज
Joshimath Land Sinking: भू-धंसाव की घटना से मकानों, दुकानों और होटलों की दीवारों में दरारें आ गई हैं. प्राचीन मंदिरों पर भी खतरा मंडरा रहा है.
Kumar Vishwas On Joshimath Case: उत्तराखंड के जोशीमठ में इन दिनों हाहाकार मचा हुआ है. यहां लगातार जमीन धंस रही है. भू-धंसाव की घटना से मकानों, दुकानों और होटलों की दीवारों में दरारें आ गई हैं. प्राचीन मंदिरों पर भी खतरा मंडरा रहा है. यहां स्थित शंकराचार्य के मठ में भी कई जगहों पर दरारें आने की खबर है, जिसको लेकर कवि कुमार विश्वास ने मीडिया और पर्यावरण प्रेमियों पर तंज कसा है.
कवि कुमार ने सोमवार (9 जनवरी) को एक निजी चैनल की खबर को ट्वीट करते हुए लिखा, "राहुल जी की ठंडरोधी टी शर्ट के महान विचार-मंथन से यदि मुक्त हो गए हों तो पार्टी-बंधक पर्यावरण-रक्षकों व सरकारानुकूल सनातन धर्मावलंबियों को तनिक इस विषय में भी विचार करना चाहिए."
राहुल जी की ठंडरोधी टी शर्ट के महान विचार-मंथन से यदि मुक्त हो गए हों तो पार्टी-बंधक पर्यावरण-रक्षकों व सरकारानुकूल सनातन धर्मावलंबियों को तनिक इस विषय में भी विचार करना चाहिए😢🇮🇳🙏 https://t.co/xeMZbrgtYW
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) January 9, 2023
पिटकुल की टीम करेगी सर्वे
वहीं इस घटना को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हर मदद का आश्वासन दिया है. केंद्र की ओर की एक समिति का गठन किया गया है, जो इन हालातों के कारण का पता लगाएगी. उधर पिटकुल (PTCUL) की टीम को जोशीमठ भेजा गया है. यह टीम एमडी पीसी ध्यानी के नेतृत्व में रवाना हुई है. इस दौरान टीम बिजली की लाइनों पर पड़ने वाले असर पर रिसर्च करेगी. एक्सपर्ट्स की मानें तो उत्तरकाशी और नैनीताल भी भू-धंसाव की जद में हैं.
सेना ने खाली किया बैरक
जोशीमठ में स्थित सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर में भी दरारें आ गई हैं, जिसके चलते सेना ने बैरक को खाली कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जोशीमठ में होटल अपने बगल वाले होटल पर झुक गया है. इससे दोनों बिल्डिंग्स पर भी खतरा मंडराने लगा है. किसी घटना से बचने के लिए इसे खाली करा दिया गया है. कहा जा रहा है कि यदि यह होटल गिरता है तो अपने साथ पीछे ये जो रिहायश है, उसमें रहने वाले लोग चपेट में आ जाएंगे.
उत्तरकाशी में भी भू-धंसाव की घटना
जोशीमठ के अलावा उत्तराकाशी में भी भू-धंसाव की घटना सामने आई है. उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर ग्राम मस्ताडी के ग्रामीणों का कहना है कि हमारा गांव धीरे-धीरे नीचे की ओर धंसने लगा है. ग्रामीणों का कहना है कि 1991 में आए भूकंप के बाद से गांव के घरों में दरारें पड़ जाती हैं. 1995-96 में इस गांव के मकानों के अंदर से पानी निकलना भी शुरू हो गया, जो आज भी जारी है.
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