नहीं माने कुमार विश्वास, अमानतुल्लाह को बाहर करने पर अड़े, AAP में रहेंगे या जाएंगे, आज फैसला मुमकिन
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के लिए कल की रात सुपर सस्पेंस की रही. सवाल ये रहा कि क्या आप में विश्वास का विश्वास बाकी है या नहीं. आम आदमी पार्टी ने कुमार विश्वास को मनाने की पूरी कोशिश की. लेकिन कुमार विश्वास ने रात भर सस्पेंस बनाए रखा है. कुमार विश्वास अमानतुल्लाह को पार्टी से बाहर करने से कम पर राज़ी नहीं हैं. अटकलें ये हैं कि कुमार विश्वास पार्टी में रहेंगे या जाएंगे, इसे लेकर आज फैसला कर सकते हैं.
जानें कब-कब क्या हुआ
रात करीब सवा एक बजे कुमार विश्वास अकेले ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के घर से निकले और मीडिया से बात करे बिना चले गए. उनके बाद कपिल मिश्रा, संजय सिंह और मनीष सिसोदिया भी निकले, लेकिन किसी ने मीडिया से बात नहीं की.
अमानतुल्लाह के आरोपों से आहत हूं- विश्वास
कल शाम कुमार विश्वास ने मीडिया के सामने आप विधायक अमानतुल्लाह को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की. इसी के बाद से मामले ने तूल पकड़ लिया. अमानतुल्लाह ने कुमार विश्वास पर बीजेपी का एजेंट होने और विधायकों को खरीदने का आरोप लगाते हुए पीएसी से इस्तीफा दिया था. कुमार विश्वास का कहना है कि वो इस आरोप से आहत हैं. इसी के करीब ढाई घंटे बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और अरविंद केजरीवाल के दाहिने हाथ कहे जाने वाले मनीष सिसोदिया सामने आए और कुमार विश्वास पर पलटवार किया.
विश्वास के घर के बाहर जुटी समर्थकों की भीड़
मामला इतना गर्मा गया कि कुमार विश्वास के घर के बाहर उनके समर्थकों की भीड़ जुट गई. जमकर नारेबाजी हुई. रात करीब ग्यारह बजे अरविंद केजरीवाल ने सुलह की कोशिशें तेज की. केजरीवाल अपने सहयोगियों संजय सिंह, मनीष सिसोदिया और आशुतोष को लेकर कुमार विश्वास के घर पहुंचे.
कुमार विश्वास दिन में अपने फैसले के बारे में बता सकते हैं
इसके बाद कुमार विश्वास, संजय सिंह और केजरीवाल एक ही गाड़ी में बैठकर केजरीवाल के घर के लिए निकले. लेकिन केजरीवाल के घर में भी सुलह की कोई साफ तस्वीर सामने नहीं आई. सभी नेता-एक-एक कर निकले और मीडिया से बात किए बिना चले गए. ऐसे में आज का दिन आम आदमी पार्टी के लिए अहम रहने वाला है. कुमार विश्वास दिन में अपने फैसले के बारे में बता सकते हैं.
कौन हैं कुमार विश्वास?
देश के जाने माने कवि कुमार विश्वास अन्ना आंदोलन के वक्त से केजरीवाल के साथ थे. पार्टी बनाए जाते वक्त उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूर रहने की इच्छा जताई थी, लेकिन उस वक्त केजरीवाल उन्हें खींच कर पार्टी में लाए थे. चुनावों में प्रचार के दौरान भी कुमार विश्वास भीड़ जुटाऊ नेता साबित होते रहे हैं. लेकिन इस बार एमसीडी चुनावों से पहले कुमार विश्वास ने आम आदमी पार्टी और केजरीवाल पर सवाल उठाए थे. इसी के बाद बढ़ती दूरी का अंदाजा लगा था. अब सस्पेंस ये है क्या बैठक के बाद ये अलगाव बढ़ा है या कम हुआ है.