Kuno National Park: दस दिन बाद पहले से ज्यादा चौकन्ने हुए सभी चीते, तीन तरह का परोसा जा रहा मीट
Madhya Pradesh News: सभी चीतों पर हाई मास्क कैमरे और वन विभाग के ट्रेंड चीता विशेषज्ञों के ज़रिए नज़र रखी जा रही है. चीतों की जीवनचर्या का पूरा डेटा लिखित रूप में तैयार किया जा रहा है.
Cheetah In Kuno National Park: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में चीतों (Cheetahs) को आज दस दिन हो गए हैं. सभी चीते कूनो नेशनल पार्क में अपने आप को तेज़ी से ढाल रहे हैं और पहले से ज़्यादा तनाव मुक्त और चौकन्ने हैं. चीतों की देखभाल कर रहे एक वन अधिकारी (Forest Officer) ने बताया कि सभी चीते अपने जंगल के जीवन से इतर बाड़े के जीवन में सुकून से हैं.
कूनो नेशनल पार्क में चीतों के रख रखाव से जुड़े एक वन अधिकारी ने बताया कि सभी चीतों को तीन दिन के अंतर पर ख़ाना दिया जा रहा है, सभी चीते अपनी सामान्य डाइट ले भी रहे हैं. चीतों को अभी तीन तरह के जानवरों का मांस दिया जा रहा है. जिनमें भैंसे के बच्चे यानी पाड़े का मीट, बकरे का मीट और ख़रगोश का मीट भी शामिल है. चीते पानी ज़्यादा पीते हैं इसलिए सभी चीतों के बाड़े में पीने के पानी की पूरी व्यवस्था की गई है.
एक चीता विशेषज्ञ ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि चीतों में अलर्टनेस पहले से ज़्यादा है, नवे बाड़े में मौजूद जानवरों को देखकर अपने कान खड़े कर लेते हैं, हालांकि ये तभी होता है जब नवे बाड़े के जानवर चीते के बाड़े के जाल के नज़दीक आते हैं. सभी चीते सेहत के लिहाज से स्वस्थ हैं और खाने के अलावा अपने आसपास के वातावरण के प्रति खोजी प्रवृति दिखा रहे हैं साथ ही सभी चीते सामान्य तौर पर अपनी नींद भी ले रहे हैं.
फील्ड स्टाफ की ट्रेनिंग
कूनो नेशनल पार्क में इन सभी चीतों पर नामीबिया (Namibia) से आए चीता फ़ाउंडेशन के डॉक्टर और बायलॉजिस्ट नज़र रख रहे हैं. साथ ही कूनो नेशनल पार्क पार्क के फ़ील्ड स्टाफ को चीतों के बारे में ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. नामीबिया से चीतों के साथ डॉक्टर्स और बायलॉजिस्ट में से अभी भी तीन विशेषज्ञ कूनो नेशनल पार्क में ही हैं. वे कूनो नेशनल पार्क के फ़ील्ड स्टाफ की ट्रेनिंग के बाद वापस नामीबिया में चले जाएंगे.
सभी चीतों पर हाई मास्क कैमरे और वन विभाग के ट्रैण्ड चीता विशेषज्ञों के ज़रिए नज़र रखी जा रही है. चीतों के जीवनचर्या का पूरा डेटा लिखित रूप में तैयार किया जा रहा है. चीतों के रेडियों कॉलर भी लगाया गया है, लेकिन इसका उपयोग खुले जंगल में छोड़ने के बाद ही लोकेशन पर नज़र रखने के लिए किया जाएगा.
जल्द खुले जंगल में जाएगा छोड़ा
चीता प्रोजेक्ट के प्रमुख एसपी यादव ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि सभी चीते अक्तूबर महीने की 17 तारीख़ को अपना क्वारंटाइन पूरा कर लेंगे, इसके बाद उन्हें एक-एक या दो-दो करके इस बाड़े से पिंजरे में शिफ्ट किया जाएगा और फिर पिंजरे के ज़रिए खुले जंगल में छोड़ा जाएगा.
यादव ने बताया कि ये खुला जंगल भी 7 स्क्वेयर किलोमीटर का फ़ेंसिंग युक्त बाड़ा है जिसे ख़ास तौर पर हल्के करंट युक्त तार से बांधा गया है ताकि ना तो चीते इस बाड़े से बाहर जा पाए और ना ही कोई दूसरा बड़ा जानवर चीतों के बाड़े में प्रवेश कर पाए. फ़िलहाल, पांच साल के चीता प्रोजेक्ट को प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है.
ये पहली बार है जब किसी विडालवंशी को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में बसाने के लिए लाया गया है, इसलिए पूरी दुनिया की निगाह इस प्रोजेक्ट पर बनी हुई है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की पहल पर इन चीतों को नामीबिया के जंगलों से भारत लाया गया है और प्रधानमंत्री के जन्मदिन 17 सितंबर के दिन कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था.
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