Kuno National Park: नामीबिया से लाए गए चीतों के लिए लोगों ने सुझाए नाम-मिल्खा, चेतक; वायु, आप भी बताएं
Kuno National Park: नामाबिया से कूनो नेशनल पार्क लाए गए आठ चीतों के लिए पूरे देश से लोगों ने मिल्खा, चेतक, वायु, स्वस्ति और त्वारा जैसे नामों के सुझाव दिए हैं. आप भी चीतों के नाम का सुझाव दे सकते हैं.
Kuno National Park: पीएम मोदी ने (PM Modi) अपने जन्मदिन (17 सितंबर) के अवसर पर नामीबिया (Namibia)से लाकर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गए आठ चीतों के नाम का सुझाव देशवासियों से मांगा था. जिसके लिए लोगों ने मिल्खा, चेतक, वायु, स्वस्ति और त्वारा जैसे नामों के सुझाव दिये हैं. पीएम मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' (Man Ki Baat) में नागरिकों से सरकार की वेबसाइट माईगव (mygov.in) पर इन चीतों के नामों के चयन से संबंधित प्रतियोगिताओं में भाग लेने का आग्रह किया था.
चीतों का नाम बताएं और इनाम पाएं
उन्होंने मंगलवार को फिर से लोगों से चीतों के नाम सुझाने और नामकरण प्रतियोगिता में भाग लेने का आग्रह किया है. बता दें कि नाम के सुझाव के लिए विजेता प्रतिभागियों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को देखने के लिए यात्रा का मौका मिलेगा. अगर आप भी इस प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते हैं तो इसमें भाग लेने की लेने की अंतिम तिथि 26 अक्टूबर है.
पीएम मोदी ने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में यह भी कहा था कि चीतों को नए वातावरण में खुद को ढालने में कुछ समय लगेगा और एक कार्यबल के बाद ही सरकार इस पर फैसला करेगी कि क्या राष्ट्रीय उद्यान को जनता के लिए खोला जा सकता है. मोदी ने कहा था कि उन्हें देश भर से संदेश मिल रहे हैं कि लोगों को चीतों को देखने का मौका कब मिलेगा.
लोगों ने बताए हैं तरह-तरह के नाम
चीतों के नाम बताने के सुझाव वाले प्लेटफॉर्म को अब तक वीर, पनाकी, भैरव, ब्रह्मा, रुद्र, दुर्गा, गौरी, भाद्र, शक्ति, बृहस्पति, चिन्मयी, चतुर, वीर, रक्षा, मेधा और मयूर जैसे नामों के सुझाव के साथ 750 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हो चुकी हैं.
‘पुन: परिचय परियोजना’ के लिए, 800 से अधिक लोगों ने 'कूनो का कुंदन', 'मिशन चित्रक', 'चिरायु' और 'चितवाल' जैसे शीर्षक सुझाए हैं.
भारत से विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के तौर पर इन चीतों को नामीबिया से लाया गया है. वर्ष 1952 में देश में चीते की प्रजातियों को विलुप्त घोषित किए जाने के 70 साल बाद चीता भारत आया है.