जांबाज को सलाम : इस देश की सरहद को कोई छू नहीं सकता, जब निगहबान हों ये आंखें...
नई दिल्ली/जम्मू : देश कुपवाड़ा की शहादत का बदला मांग रहा है. कल कुपवाड़ा में आर्मी कैंप पर हुए हमले में एक कैप्टन समेत 3 जवान शहीद हो गए थे. इस बीच जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में कल हुए आतंकी हमले में एक जवान ने अदम्य साहस और बहादुरी का परिचय दिया. ऋषि कुमार नाम के इस गनर ने गोली लगने के बाद भी दो आतंकियों को ढेर कर दिया.
बुधवार सुबह साढ़े चार बजे गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा
इस जवान की बहादुरी पर सेना और पूरे देश को गर्व है. दक्षिणी कश्मीर के पंजगाम आर्मी कैंप का इलाका बुधवार सुबह साढ़े चार बजे गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. तब सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के नायक ऋषि कुमार सेना कैंप के प्रताप नाम के मेन गेट पर ड्यूटी कर रहे थे. आतंकी कैंप के पिछले गेट की बाड़ काटकर घुसे थे.
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कॉम्पलेक्स पर ग्रेनेड और ऑटोमेटिक हथियारों से गोलियां बरसा रहे थे
70 मीटर दूर दूसरी बाड़ काटकर आर्मा कॉम्पलेक्स पर ग्रेनेड और ऑटोमेटिक हथियारों से गोलियां बरसा रहे थे. पंजगाम आर्मी कैंप के दूसरे छोर पर ड्यूटी कर रहे ऋषि कुमार को अंदेशा हो गया कि करीब आधे किलोमीटर में फैले इस कैंप में जरूर कुछ गड़बड़ हुई है. सेना कैंप के एक्सचेंज को फोन किया तो उन्हें सब कुछ समझते देर न लगी.
आतंकियों के अपने निशाने की रेंज में आने का इंतजार करने लगे
ऋषि कुमार ने आनन-फानन में पोजिशन ले ली और आतंकियों के अपने निशाने की रेंज में आने का इंतजार करने लगे. आतंकी ताबड़तोड़ गोलियां बरसाते आगे बढ़ रहे थे. ऋषि कुमार ने मोर्चा संभाला और पूरी की पूरी मशीनगन आतंकियों के सीने में उतार दी. दो आतंकी छलनी होकर वहीं ढेर हो गए. लेकिन, तीसरे आतंकी ने ऋषि कुमार के सिर पर गोली मार दी.
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गोली लगने के बाद ऋषि कुमार थोड़ी देर के लिए लड़खड़ा तो जरूर गए
सिर और हाथ में गोली लगने के बाद ऋषि कुमार थोड़ी देर के लिए लड़खड़ा तो जरूर गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उनकी गोलियां खत्म हो चुकी थीं. मारे गए आतंकियों की एके-47 उठाई और फिर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. तब तक ये पता नहीं था कैंप के अंदर कितने आतंकी घुसे हैं. बाद में खुलासा हुआ कि ऋषि कुमार दो आतंकियों को ढेर कर चुके थे.
घायल ऋषि कुमार श्रीनगर में सेना के बेस अस्पताल में भर्ती हैं
तीसरा अंधेरा का फायदा उठाकर भाग गया था. घायल ऋषि कुमार श्रीनगर में सेना के बेस अस्पताल में भर्ती हैं. आतंकियों को जवाब देने के लिए एक जवान का खून खौल रहा है. जवान का कहना है कि 'मैं पूरी तरह फिट हूं.' ऋषि कुमार बिहार के आरा जिले के रहने वाले हैं. सेना में शामिल हुए उन्हें करीब आठ साल हो चुके हैं.
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आतंकियों के सामने दीवार की तरह खड़े होकर बड़ी तबाही रोक दी
पंजगाम आर्मी कैंप में ऋषि कुमार ने आतंकियों के सामने दीवार की तरह खड़े होकर बड़ी तबाही रोक दी. आतंकी मेन गेट की तरफ बढ़ रहे थे. उसके पहले ऋषि कुमार ने उनका काम तमाम कर सेना के तोपखाने और जानमाल को भारी नुकसान से बचा लिया. ऋषि कुमार से मुकाबले से पहले आतंकियों के हमले में कैप्टन आयुष यादव, नायक वेंकट रमन्ना और जवान भूप सिंह गुर्जर शहीद हो गए.
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