LAC Conflict Row: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध खत्म करने से जुड़े समझौता के बाद इंडियन आर्मी के जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बड़ा बयान दिया है. मंगलवार (22 अक्टूबर, 2024) को समाचार एजेंसी 'एएनआई' से उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात "अप्रैल 2020 की यथास्थिति" पर लौटने के बाद ही भारतीय सेनाएं लद्दाख में चीन से पीछे हटेंगी. जनरल उपेंद्र द्विवेदी यह भी बोले कि सेनाएं चीन के पक्ष के साथ विश्वास बहाल करने की कोशिश कर रही हैं, जिसने आक्रामक गतिविधियों से एलएसी को अस्थिर करने की कोशिश की थी.


उनके मुताबिक, "हम अप्रैल 2020 की यथास्थिति पर वापस जाना चाहते हैं. हम इसके बाद एलएसी पर सैनिकों की वापसी, तनाव कम करने और सामान्य प्रबंधन पर ध्यान देंगे. अप्रैल 2020 से हमारा यही रुख रहा है. अब तक हम भरोसा बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा तब होगा जब हम एक-दूसरे को देखने में सक्षम होंगे और हम एक-दूजे को समझाने और आश्वस्त करने में सक्षम होंगे कि हम बनाए गए बफर जोन में नहीं घुस रहे हैं."


भारत-चीन के बीच हुए समझौते पर क्या है जानकारी?


दरअसल, एक दिन पहले सोमवार (21 अक्टूबर, 2024) को भारत और चीन एलएसी पर गश्त के लिए एक अहम समझौते पर राजी हुए. विदेश सचिव विक्रम मिस्री की ओर से बताया गया था कि दोनों पक्षों के बीच पिछले कई हफ्तों तक हुई बातचीत के बाद इस समझौते को अंतिम रूप दिया गया और यह 2020 में पैदा हुए गतिरोध के समाधान का रास्ता साफ करेगा. ऐसा समझा जाता है कि यह समझौता देपसांग और डेमचोक में गश्त की शुरुआत करेगा, क्योंकि दोनों इलाकों में कई मुद्दों को लेकर गतिरोध बरकरार था. 


...तो इस वजह से बिगड़ गए थे भारत-चीन के रिश्ते


जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण झड़प के बाद भारत-चीन के बीच रिश्ते बहुत बिगड़ गए थे. झड़प पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे भीषण सैन्य झड़प थी. कुछ बरसों में कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ता के बाद दोनों पक्ष टकराव वाले कई बिंदुओं से पीछे हटे थे पर देपसांग-डेमचोक में गतिरोध दूर नहीं हो सका था. विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने एलएसी पर पेट्रोलिंग व्यवस्था पर हुए ताजा समझौते को 'सकारात्मक कदम' बताया. हालांकि, उन्होंने परिणामों के बारे में जल्दी अनुमान न लगाने की सलाह दी.


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