LAC विवाद पर वायुसेना प्रमुख बोले- हम भी आक्रामक हो सकते हैं
पिछले साल मई महीने ही भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव जारी है. दोनों देशों के बीच कई दौर की कमांडर लेवल की बैठक हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है.
जोधपुर: एलएसी पर तनाव के सवाल पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि अगर वो (चीन) आक्रामक हो सकते हैं तो हम भी एग्रेसिव हो सकते हैं. चीनी सैनिकों को एलएसी पर आक्राम होने की संभावना से जुड़े सवाल के जवाब उन्होंने ने ये बात कही. गौरतलब है कि पिछले साल मई महीने ही भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव जारी है. दोनों देशों के बीच कई दौर की कमांडर लेवल की बैठक हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है. दोनों देश डीएस्क्लेशन पर राजी हुए लेकिन चीन अपनी बात पर कामय नहीं रहता है. रविवार को भारत और चीन के बीच नौवें दौर की कोर कमांडर लेवल की बैठक होने वाली है.
वायुसेना प्रमुख भारत और फ्रांस की वायुसेना की जोधपुर में आयोजित ‘एक्सरसाइज डेजर्ट नाइट-21’ के समापन के बाद संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना ने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान कार्यक्रम की शुरुआत की है और इसमें छठी पीढ़ी की कुछ क्षमताओं को भी शामिल करने की योजना है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा वर्तमान दृष्टिकोण पांचवीं पीढ़ी के विमानों में सभी नवीनतम प्रौद्योगिकियों और सेंसर को शामिल करना है.’’उन्होंने कहा, ‘‘हमने थोड़ा विलंब से पांचवीं पीढ़ी के विमान पर काम करना शुरू किया. इसलिए तत्कालीन प्रौद्योगिकियों और सेंसर को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में शामिल किया जाएगा.’’
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वायुसेना को जब राफेल विमान प्राप्त हुए तो पहली प्राथमिकता इसे संचालित करने और वर्तमान लड़ाकू बेड़े से इसे जोड़ने की थी. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा किया जा चुका है और वर्तमान अभ्यास डेजर्ट नाइट उसी का परिणाम है.’’
#WATCH | If they can be aggressive, we can also be aggressive: IAF Chief Air Chief Marshal RKS Bhadauria on the possibility of Chinese getting aggressive on LAC. pic.twitter.com/4EKPpwlS5o
— ANI (@ANI) January 23, 2021
एयर चीफ मार्शल ने कहा, ‘‘फ्रांस में भारत के कुछ पायलट प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं और कुछ भारत में ही प्रशिक्षण ले रहे हैं. हमारे पास पायलट-कॉकपिट का सही अनुपात है.’’ उन्होंने कहा कि अगले वर्ष तक शामिल करने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. इससे पहले भदौरिया ने महज चार दिनों में पूरा अभ्यास सफलतापूर्वक हो जाने पर दोनों वायुसेनाओं को बधाई दी. भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लिनैन ने कहा कि 1953 में पहला फ्रांसीसी विमान भारत में आने के साथ ही दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत होते गए. लिनैन ने कहा, ‘‘अब राफेल मजबूत सहयोग और भागीदारी को दर्शाता है.’’