LAC Row: कूटनीति या फिर कमजोरी? कौन से हैं वो इलाके, जहां-जहां से चार कदम पीछे हट गया चीन
लंबे गतिरोध के बाद आखिरकार भारत और चीन ने काफी हद तक सीमा विवाद को सुलझा लिया है. एनएसए अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत का असर भी दिखने लगा है.
India-China Border: एनएसए अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत रंग लाई है. इसी क्रम में भारत और चीन की सेनाओं ने चार क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुला लिया है जिनमें गलवान घाटी भी शामिल है. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर दोनों देशों ने बेहद संवेदनशील पैंगोंग झील, गोगरा, हॉट स्प्रिंग के उत्तरी और दक्षिणी तट से सैनिकों को वापस बुलाया है.
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने भी सैनिकों के हटने की पुष्टि की है. माओ निंग ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'फिलहाल भारत-चीन सीमा पर स्थिति नियंंत्रण में है. हाल के वर्षों में, दोनों देशों की अग्रिम मोर्चे पर तैनात सेनाओं ने चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चार बिंदुओ से पीछे हटने का काम पूरा कर लिया है, जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है.'
हाल ही में एनसएस अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वाग यी ने रूस में मुलाकात की थी. इस दौरान भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव का मुद्दा दोनों नेताओं की बातचीत का मुख्य बिंदु था.
गलवान घाटी में सैनिकों का हटना बड़ी राहत
गलवान घाटी पर लंबे समय से जारी संघर्ष की स्थिति के बाद सैनिकों का हटना एक बड़ी राहत है. गलवान घाटी में जून, 2020 में चीन ने सैन्य अभ्यास के बहाने सैनिकों को जमा किया और कई जगह घुसपैठ की कोशिश की. चीन के बाद भारत सरकार भी एक्शन में आई और चीन जितने ही भारतीय सैनिक क्षेत्र में तैनात कर दिए गए. हालात यहां तक खराब हुए कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर गोलियां तक चलीं.
किस मुद्दे को सुलझाना बाकी है?
भारत-चीन ने चार क्षेत्रों से सैनिकों को भले ही वापस बुला लिया हो लेकिन अभी भी कई मुद्दे अनसुलझे हैं. ANI ने एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक के मुद्दे को अभी सुलझाया नहीं जा सका है. चीन भले ही चार क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर राजी हो गया हो लेकिन भारत को उससे सतर्क रहना ही होगा. ये उसकी कूटनीति, कमजोरी है या कोई साजिश, इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है.
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