नई दिल्ली: भारत में कोरोना की दूसरी लहर के बीच गड़बड़ाए गणित ने वैक्सीन के बाजार में चीन का काम आसान कर दिया है. खासतौर पर दक्षिण एशिया के मुल्कों में जहां पहले भारत निर्मित टीकों और वैक्सीन मैत्री जैसी कोशिशों को हाथों हाथ लिया गया था वहां अब चीनी वैक्सीन कंपनियां तेजी से अपनी पैठ बढ़ाने में जुटी हैं. 


भारत में वैक्सीन उत्पादन की परेशानियों, घरेलू मांग में इजाफा के बीच बीते 2 महीनों से मेड इन इंडिया वैक्सीन के निर्यात पर लगभग पाबंदी है. एक समय दुनियाभर में वाहवाही लूट रही भारत की वैक्सीन मैत्री जैसी योजनाएं भी अब महज रेंग ही रही है. ऐसे में भारत की वैक्सीन निर्माता कंपनियों को बड़े ऑर्डर दे चुके खरीदारों को भी खासी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. वहीं मदद की आस में मुल्कों को फिलहाल इंतजार का आश्वासन ही मिल रहा है. 


इस बीच नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश जैसे पड़ोसी मुल्कों में टीकों की मांग को बढ़ी है. वहीं वैक्सीन किल्लत ने कई देशों को चीनी टीकों के लिए दरवाजे खोलने की मजबूरी बढ़ा दी है. जाहिर है इस मौके को भुनाने में चीन कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता. 


पड़ोसी देशों को वैक्सीन भेज रहा है चीन
वैक्सीन आपूर्ति की परेशानियों के मद्देनजर हाल ही में नेपाल ने करीब 20 चाइनीस वेरो सेल वैक्सीन का ऑर्डर दिया है. वहीं दो दिन पहले ही चीन ने श्रीलंका को करीब 5 लाख चीनी साइनो फार्म वैक्सीन तोहफे में देना का फैसला किया है. चीन ने 25 मई तक यह खेप मुहैया कराने का भी ऐलान किया है. ध्यान रहे कि अबतक श्रीलंका को चीन 10 लाख चायनीज वैक्सीन देने की घोषणा कर चुका है. 


ध्यान रहे कि भारत ने जनवरी 2021 में श्रीलंका को 5 लाख वैक्सीन मुहैया कराए थे. वहीं फरवरी में 5 लाख टीकों की एक खेप व्यापारिक खरीद के तौर पर उपलब्ध कराए गई थी. इसके अलावा मार्च 2021 में कोवैक्सीन आवंटन के तौर पर भी भारत ने 2.64 लाख वैक्सीन श्रीलंका को दिए थे. लेकिन उसके बाद कोई आपूर्ति नहीं की गई. इसी तरह नेपाल को जनवरी 2021 में 10 लाख और मार्च 2021 के आखिर में एक लाख वैक्सीन मदद के तौर पर दिए गए थे. वहीं भारत ने 10 लाख वैक्सीन व्यापारिक खरीद के रूप में फरवरी 2021 में और 3.48 लाख मार्च 2021 के शुरुआत में पड़ोसी नेपाल को दिए थे. लेकिन 10 लाख वैक्सीन का उसका ऑर्डर भारत में उत्पादन संबंधी दिक्कतों के चलते उलझ गया.  


बांग्लादेश को भारत से सबसे ज्यादा वैक्सीन मिली
संख्या के लिहाज से बांग्लादेश भारत से सर्वाधिक वैक्सीन हासिल करने वाला मुल्क है. बांग्लादेश को जहां तोहफे के तौर पर 33 लाख डोज मेड इन इंडिया वैक्सीन दिए गए. वहीं व्यापारिक खरीद के तौर पर भी बांग्लादेश ने भारत से 70 लाख डोज जनवरी और फरवरी 2021 में पाए. हालांकि शुक्रवार को किए ऐलान में चीन ने बांग्लादेश को 6 लाख साइनो फार्म वैक्सीन तोहफे में देने की घोषणा की है. ध्यान रहे कि इससे पहले चीन ने 5 लाख वैक्सीन भेजे थे. बीते दिनों बांग्लादेश कैबिनेट ने अहम फैसला लेते हुए चीन से कोविड-19 वैक्सीन खरीद को मंजूरी दे दी. 


87 देशों की मदद कर चुका है भारत
विदेश मंत्रालय में अनिल वाधवा जैसे जानकार मानते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर ने भारत की वैक्सीन कूटनीति का गणित वाकई गड़बड़ा दिया है. उनके मुताबिक भारत ने शुरुआत में अपने वैक्सीन मैत्री प्रयास के जरिए 87 देशों की मदद की. दुनियाभर में भारत की प्रशंसा हुई. ग्लोबल वैक्सीन अलायंस और कोवैक्स कार्यक्रम के तहत भी अनेक देशों को उम्मीद थी कि भारत उनकी वैक्सीन जरूरतों को पूरा करेगा. मगर अब कोरोना की दूसरी लहर के चलते भारत को अपने जनसंख्या का ध्यान रखना होगा.


वाधवा कहते हैं, यह सच है कि पड़ोसी देशों को भारत से टीकों पर बहुत आशाएं थी. इनमें से कई मुल्कों में लोगों को भारत निर्मित टीकों की एक खुराक भी दी गई. उनकी कोशिश होगी कि उन्हें दूसरी डोज हासिल हो. अगर ऐसा नहीं होता तो भारत की साख पर सवालिया निशान खड़े होंगे. वहीं चीन इस बात की पूरी कोशिश कर रहा है कि उसकी वैक्सीन अब दक्षिण एशिया के बाजार में हावी हो जाए. श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश जैसे देशों में उसकी कोशिश वैक्सीन के जरिए साख बढ़ाने की है. 


हालांकि, इस बात की उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ महीनों में भारत अपने विस्तारित उत्पादन और अधिक वैक्सीन विकल्पों के साथ पड़ोसी मुल्कों की भी जरूरतें पूरी करने में सक्षम होगा. ध्यान रहे कि रूस निर्मित स्पुतनिक वैक्सीन का दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा उत्पादन हब भारत होगा. वहीं जल्द ही जॉन्सन एंड जॉन्सन की सिंगल डोज वैक्सीन का भी दक्षिण एशिया में बड़ा उत्पादन भारत में अगले दो महीने के भीतर शुरू हो जाएगा. भारत में जॉन्सन वैक्सीन के सालाना 45-50 करोड़ डोज उत्पादन की तैयारी है. 


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