बीजेपी सांसद जमयांग सेरिंग का विवादित बयान, कहा- UN में लद्दाख की चर्चा होने से खुश हूं
बीजेपी सांसद जमयांग सेरिंग ने पिछले दिनों संसद में अनुच्छेद 370 और राज्य को बांटने वाले बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए जबर्दस्त भाषण दिया था और देशभर में सुर्खियां बटोरी थी.
नई दिल्ली: हाल ही में संसद में अपने भाषण से सुर्खियां बंटोरने वाले सांसद जमयांग सेरिंग नामग्याल अब बयान देकर विवादों में आ गए हैं. लद्दाख से बीजेपी सांसद जमयांग सेरिंग नामग्याल ने आज कहा कि कांग्रेस के संसद में भी लद्दाख की चर्चा नहीं होती थी, अब इसकी चर्चा संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में हो रही है. भारत का हमेशा से यही रुख रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है.
सेरिंग ने कहा, ''मैं खुश हूं कि मोदी जी के नेतृत्व में जो फैसला हुआ उसकी वजह से लद्दाख की चर्चा संयुक्त राष्ट्र में हो रही है. इससे पहले जब कांग्रेस सत्ता में थी तो लद्दाख की चर्चा संसद में भी नहीं होती थी.'' उन्होंने न्यूक्लियर पॉलिसी पर दिए गए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बयान को लेकर कहा कि भारत सरकार जो भी फैसला लेगी लद्दाख के लोग उसके साथ हैं.
BJP MP from Ladakh, Jamyang Tsering Namgyal on UNSC discussion on Kashmir: I'm happy that due to the decision taken under Modi ji's leadership, Ladakh is being discussed in UN. Earlier when Congress was in power, Ladakh was not even discussed in Parliament let alone the UN. pic.twitter.com/BaDDbLgBm1
— ANI (@ANI) August 17, 2019
पांच अगस्त को मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर खंडों को समाप्त कर दिया था जो जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करते थे. इसके साथ ही जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था. भारत सरकार के इस फैसले पर पाकिस्तान रोना रो रहा है. मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय करण करने की कोशिश में है. लेकिन उसे लगातार झटका लगा है.
कल ही कश्मीर को लेकर सुरक्षा परिषद की बंद दरवाजे में चर्चा बिना किसी नतीजे या 15 देशों वाले संयुक्त राष्ट्र इकाई की ओर से बिना किसी बयान के समाप्त हुई. इससे पाकिस्तान के साथ ही उसके सहयोगी चीन के मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के प्रयास को झटका लगा. भारी बहुमत इसके पक्ष में था कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है.
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चर्चा के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि चीन चर्चा के नतीजे पर जोर दे रहा था. वह चाहता था कि चर्चा के बाद अगस्त महीने के सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष पोलैंड की ओर से एक प्रेस बयान जारी किया जाए. बहरहाल, 15 सदस्यीय देशों में से बहुमत ने कहा कि चर्चा के बाद कोई बयान या नतीजा जारी नहीं किया जाना चाहिए और ऐसा ही हुआ. इसके बाद चीन सामने आया और अपना बयान अपनी राष्ट्रीय क्षमता के आधार पर जारी किया. इसके बाद पाकिस्तान ने भी बयान जारी किया.
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के समापन के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी दूत सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत का यह रुख पहले भी था और अब भी यही है कि संविधान के अनुच्छेद 370 से जुड़ा मामला पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है और इसके कोई बाहरी निहितार्थ नहीं हैं.