‘भरोसा करना मुश्किल’, एलएसी एग्रीमेंट पर लद्दाख के सांसद को नहीं है चीन पर यकीन
Haji Hanifa Jan On LAC Agreement: भारत और चीन के बीच हुए समझौते को लेकर लद्दाख की सांसद का कहना है कि बात बन गई है तो अच्छी है लेकिन चीन पर भरोसा करना बहुत मुश्किल है.
Ladakh MP On LAC Agreement: एलएसी पर एग्रीमेंट होने के बाद भारत और चीन की सेनाएं पीछे हट चुकी हैं. समझौते को लेकर लद्दाख के सांसद हाजी हनीफा जान ने कहा है कि चीन पर भरोसा करना ‘कठिन’ है. उन्होंने यह बात भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विभिन्न टकराव वाले बिंदुओं से पीछे हटने के समझौते पर पहुंचने के कुछ दिनों बाद कही गई है.
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हनीफा कहा, "कल मैं डेमचोक में थी, जहां मैंने स्थानीय लोगों से मुलाकात की. चीन पर पूरी तरह से भरोसा करना मुश्किल है. भारतीय सेना और हमारी सरकार समझौते को कायम रखने के लिए ईमानदार हैं, लेकिन चीन को भी इसका पालन करना चाहिए."
‘सीमा के पास रहने वाले जानते हैं युद्ध क्या होता है?’
इस बीच, लोकसभा में लद्दाख की एकमात्र प्रतिनिधि हनीफा जान ने भी कहा कि केवल सीमा के निकट रहने वाले लोग ही जानते हैं कि युद्ध कैसा होता है. उन्होंने कहा, "हममें से जो लोग सीमा के पास रहते हैं, वे जानते हैं कि युद्ध कैसा होता है. हम शांति चाहते हैं. हम समझौते का स्वागत करते हैं, लेकिन हम इसे जमीन पर लागू होते देखना चाहते हैं. कूटनीतिक तरीकों से सीमा पर तनाव कम किया जाना चाहिए."
एलएसी पर दी गई दिवाली की मिठाई
उनका यह बयान भारतीय सेना और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने के एक दिन बाद आया है. गुरुवार (31 अक्टूबर) को दिवाली के मौके पर लद्दाख सेक्टर में विभिन्न सीमा बिंदुओं पर दोनों पक्षों ने मिठाइयों का आदान-प्रदान किया.
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध अप्रैल-मई 2020 में शुरू हुआ, जो पड़ोसियों के बीच एलएसी पर चीनी सेना की कार्रवाई के कारण शुरू हुआ था. पिछले सप्ताह चार साल बाद भारत और चीन ने आखिरकार अपनी पुरानी बातों को भुलाते हुए इस क्षेत्र में पेट्रोलिंग समझौते पर सहमति व्यक्त की.
इसने रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक का रास्ता साफ किया और यह पांच सालों में नेताओं के बीच पहली द्विपक्षीय बातचीत थी.
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