लद्दाख गतिरोध: अनसुलझे मुद्दों के जल्द समाधान के लिए भारत ने दबाव बनाया
बागची ने कहा कि दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि कमांडर स्तर के अगले दौर की वार्ता का आयोजन जल्द से जल्द होना चाहिए जहां दोनों पक्ष शेष मुद्दों पर चर्चा करें और परस्पर स्वीकार्य समाधान की तलाश करें.
नई दिल्लीः भारत ने द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करते हुए पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास शेष मुद्दों के जल्द समाधान के लिए बृहस्पतिवार को एक बार फिर चीन पर दबाव बनाया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से पिछले हफ्ते कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं धैर्य बनाए रखना ही 1988 से संबंधों के विकास की आधारशिला रही है. जयशंकर और वांग के बीच 14 जुलाई को दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के इतर एक घंटे लंबी बैठक चली.
प्रवक्ता ने बताया कि जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि वर्तमान स्थिति का लंबा खिंचना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है और इसका संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.
बागची ने कहा, ''विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और धैर्य ही 1988 से संबंधों के विकास की आधारशिला रही है. पिछले वर्ष यथास्थिति बदलने के प्रयास से संबंधों पर काफी असर पड़ा है और यह 1993 और 1996 के समझौतों का अपमान भी है.''
उन्होंने कहा, ''इसलिए परस्पर हित में दोनों पक्ष एलएसी पर शेष मुद्दों के समाधान के लिए काम करें और द्विपक्षीय संबंधों एवं प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करें.''
बागची ने कहा कि जयशंकर-वांग के बीच बैठक में यह भी सहमति बनी कि दोनों पक्ष स्थिरता सुनिश्चित करेंगे और कोई भी पक्ष एकतरफा कार्रवाई नहीं करेगा जिससे तनाव बढ़े. चीन और भारत के बीच पिछले वर्ष मई की शुरुआत से ही पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर सैन्य गतिरोध बना हुआ है.
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