पूरे देश के साथ-साथ दुर्गम लद्दाख क्षेत्र में भी वैक्सीन की कमी के चलते 18+ श्रेणी में आम लोगों को वैक्सीन देने का काम शुरू नहीं हो पाया है. लद्दाख प्रशासन ने पहले ही प्रदेश के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन देने की घोषणा कर दी थी, लेकिन वैक्सीन नहीं मिलने के कारण अभी तक आम नागरिकों का टीकाकरण शुरू नहीं हो पाया है.
कारगिल में प्रशासन ने सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए टीका लगाना अनिवार्य कर दिया है और 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी सरकारी कर्मचारियों को टीका लगाया जा रहा है. कारगिल के डिस्ट्रिक्ट इम्यूनाइजेशन अफसर डॉ मोहमद अब्बास के अनुसार कारगिल के सभी सरकारी कर्मचारियों को अगले तीन दिन में पूरी तरह वैक्सीन लगाया जाएगी. इस में 18-44 साल और 45 साल से ज्यादा उम्र के कर्मचारी शामिल हैं.
कारगिल में अभी तक जारी टीकाकरण कार्यक्रम सफल रहा है और 45 साल से ज्यादा उम्र के लगभग सभी सरकारी कर्मचारीयों को वैक्सीन लगाया गया है. साथ ही अब इस चरण में कारगिल के बाहर के इलाकों में रहने वाले कर्मचारियों का टीकाकरण हो रहा है. यह कर्मचारी दूरदराज़ और दुर्गम इलाकों में तैनात है जहां सर्दियों में जा पाना संभव नहीं था.
लेकिन श्रीनगर-लेह राजमार्ग के खुल जाने के बाद बड़ी संख्या में पर्यटकों और प्रवासी मज़दूरों के आने का सिलसिला जारी है और इस से लदाख श्रेत्र में भी संक्रमण तेज़ी से फेलने लगा है. ऐसे में प्रशासन ने 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाने का भी फैसला लिया था. लेकिन अब वैक्सीन की कमी के चलते आम लोगों में वैक्सीन के तीसरे चरण में वैक्सीन नहीं लग पा रही है. लद्दाख़ के उपराज्यपाल आर के माथुर ने सभी लद्दाख वासियों को मुफ्त वैक्सीन देने की पहले ही घोषणा कर दी थी.
डॉ अब्बास के अनुसार अभी कारगिल और द्रास में उनके पास सिर्फ इतनी मात्रा में वैक्सीन है जो सरकारी कर्मचारियों और वैक्सीन का दूसरा डोज़ लेने वाले 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए पर्याप्त है. "आम लोगों को वैक्सीन तभी मिलेगी जब वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी" डॉ अब्बास ने साफ़ शब्दों में कहा लेकिन लोग इस बात से खास नाराज़ हैं. आम लोगों के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर से बचाव सिर्फ वैक्सीन के ज़रिया है और अगर उनको वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवाई जाती तो बहुत मुश्किल हो सकती है.
5 लाख आबादी वाले लदाख में इस समय 1374 एक्टिव मामले हैं और कुल संक्रमित लोगों की संख्या 14560 है. अभी तक कोरोना के कारण इस दुर्गम प्रदेश में 151 लोगों की जान जा चुकी है.