श्रीनगर: कश्मीर घाटी में शुक्रवार से 40 दिन का वो पीरियड शुरू हो गया है जिसे चिलाई कलां कहा जाता है. इस दौरान यहां सबसे अधिक ठंड पड़ती है. इस बार यह समय घाटी में 21 दिसंबर से 31 जनवरी के बीच का है. कश्मीर घाटी में बढ़ती ठंड का असर दिखना भी दिखना शुर हो गया है. झील और नदियों में पानी जम रहा है और इस रोमांचकारी मौसम में पर्यटक खूब मस्ती कर रहे हैं.
कश्मीर घाटी में सर्दी के बढ़ने का असर राजधानी दिल्ली तक पड़ती है. इस दौरान हमने कश्मीर घाटी में ठंड का असर कितना है इसे महसूस करने के लिए सोनमर्ग का सफर तय किया. सोनमर्ग के रास्ते में रेविल एक गांव है. यहां सिंधु नदी से एक छोटी सी केनाल निकली है जिसे लोग झील के तौर पर भी देखते हैं. यहां का नज़ारा बेहद खूबसूरत है, लेकिन ठंड के कारण इसमें मौजूद पानी पूरी तरह जम चुका है. इलाके के रहने वाले लोगों का कहना है कि अभी जैसा मौसम है ऐसा ही लगभग मार्च तक रहेगा. यहां सर्दी के बढ़ने के कारण नेशनल हाइवे भी बंद हो जाता है.
यहां से निकलने के बाद हमने लेह लद्दाख की ओर जाने वाली नेशनल हाइवे का रुख किया. इस रास्ते को नवंबर में बर्फबारी के बाद ही बंद कर दिया जाता है. हम बढ़ते रहे लेकिन सोनमर्ग से 8 किलोमीटर पहले ही हम रुक गए. इससे आगे जाने की इजाज़त हमें नहीं थी. यहां का तापमान माइनस 5 डिग्री है. इतने कम तापमान के कारण यहां नदी के पत्थरो पर कुदरत के दांत आ गए हैं. पत्थरों पर बर्फ नुकीला हो चला है. यहां हवा बहुत तेज चल रही है. ऐसे सिहरन भरे मौसम में भी पर्यटक यहां अच्छी खासी तादाद में दिखे.
घाटी घूमने आए लोग यहां अनेक तरह की मस्तियां कर रहे हैं. मुंबई से आए एक कपल का कहना था कि बहुत मजा आ रहा है यहां के मौसम में. एक और पर्यटक ने कहा कि यहां के हालात कैसे भी हों लेकिन लोग बहुत अच्छे हैं. इस दौरान यहां काम करने वाले स्थानीय लोग दिखे जो अलाव जलाकर बैठे थे. उन्होंने बताया कि बिना अलाव के यहां रहना बहुत मुश्किल है. उनलोगों का कहना था कि जनवरी में बर्फबारी के बाद तापमान और गिरेगा. कश्मीर घाटी में अगले एक-दो दिन तक तो बर्फबारी का अनुमान नहीं है लेकिन हफ्तेभर बाद बर्फबारी हो सकती है.
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